13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar News: बिहार में बदल रहा खेती का पैटर्न, खाद और कीटनाशक से किसान कर रहे तौबा

Bihar News: रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करने और पर्यावरण-अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के प्रयास सकारात्मक परिणाम दे रहे हैं. कुल मिलाकर, बिहार में प्राकृतिक खेती एक आंदोलन का रूप ले रही है, जो आने वाले समय में राज्य को जहर-मुक्त अनाज उत्पादन की दिशा में नई पहचान दिला सकती है.

Bihar News: पटना. बिहार में खेती बदल रही है. किसान अब खाद और कीटनाशक से तौबा कर रहे हैं. जैविक अनाज की ओर बिहार के किसान तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. बिहार में अब रासायनिक मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ रही है. बिहार अब प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाले अग्रणी राज्यों की कतार में शामिल हो गया है. राज्य सरकार की पहल और किसानों की जागरूकता के चलते बिहार में खेती की परंपरागत रासायनिक पद्धतियों से हटकर प्राकृतिक खेती की ओर तेज़ी से बदलाव हो रहा है. इसका परिणाम यह है कि आज बिहार के सभी 38 जिलों में 20 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर 50 हजार से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती को अपना चुके हैं. रोहतास, नालंदा, पटना सहित कई जिलों में प्राकृतिक खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है. किसान अब केवल धान और गेहूं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि टमाटर, बैंगन, भिंडी, गोभी, मिर्च जैसी सब्जियों की खेती भी प्राकृतिक विधि से कर रहे हैं. इसके अलावा ड्रैगन फ्रूट, अमरूद, पपीता और केला जैसे फलों का उत्पादन भी इसी पद्धति से किया जा रहा है.

गोबर और जैविक घोलों की बढ़ी मांग

प्राकृतिक खेती के तहत किसान रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय गोबर, गोमूत्र और जैविक घोलों का उपयोग कर रहे हैं. इससे खेती की लागत में कमी आ रही है और मिट्टी की सेहत भी बेहतर हो रही है. साथ ही, आम लोगों को स्वास्थ्यवर्धक अनाज, फल और सब्जियां मिल रही हैं. इस बदलाव से रासायनिक खादों पर किसानों की निर्भरता लगातार घट रही है, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है और वे जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना कर पा रहे हैं. बिहार सरकार का मानना है कि प्राकृतिक खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी है. कृषि मंत्री राम कृपाल यादव ने कहा कि बिहार के सभी 38 जिलों में 20 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में 50 हजार से ज्यादा किसानों का प्राकृतिक खेती से जुड़ना यह दर्शाता है कि किसान अब स्वस्थ जीवन और टिकाऊ कृषि के महत्व को समझ रहे हैं.

कृषि सखियां बनीं बदलाव की धुरी

किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए जरूरी जैविक इनपुट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिहार में 266 बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) की स्थापना की गई है. इन केंद्रों के माध्यम से किसानों को जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, नीमास्त्र और अग्नि अस्त्र जैसे जैविक घोल उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इसके साथ ही, नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसान स्वयं इन जैविक घोलों को तैयार कर सकें और वैज्ञानिक तरीके से उनका उपयोग कर सकें. केंद्र सरकार की राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन के तहत वर्ष 2025 में शुरू की गई इस योजना को बिहार में उत्साहजनक समर्थन मिल रहा है. किसानों को तकनीकी सहयोग और मार्ग दर्शन देने के लिए 800 कृषि सखियों को तैनात किया गया है. ये कृषि सखियां खेत स्तर पर किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने, जैविक घोल तैयार करने और फसलों की देखभाल से जुड़े उपायों की जानकारी दे रही हैं. इससे किसानों में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे नए प्रयोग करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.

Also Read: Bihar News: समस्तीपुर में बनी अगरबत्ती से सुगंधित होगा ओमान, मिथिला मखान के निर्यात पर भी चर्चा

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel