Bihar News: राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों को लर्निंग सेंटर के रूप में विकसित किया जायेगा. ऐसा इसलिए किया जा रहा ताकि बच्चों का पोषण, बेहतर स्वास्थ्य और उन्हें पढाई के लिए तैयार किया जा सके. राज्यभर में 1 लाख 15 हजार 64 आंगनबाड़ी संचालित हैं, जिनमें 41 लाख 38 हजार 829 बच्चे नामांकित हैं.
अब तक इतनी आंगनबाड़ी सेविकाओं को मिली ट्रेनिंग
जानकारी के मुताबिक, प्रारंभिक बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए अब तक एक लाख दो हजार 921 सेविकाओं को इस कार्यक्रम के तहत ट्रेनिंग मिला है. पहले चरण में 13 जिलों के 35 हजार 409 सेविकाओं और दूसरे चरण में 25 जिलों के 67 हजार 512 सेविकाओं को ट्रेनिंग दिया गया है. इस तीन दिनों के ट्रेनिंग में पोषण और पढाई जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
बच्चों को हो सकेंगे ये सभी फायदे
दरअसल, इनमें प्रारंभिक बाल्यावस्था में बच्चों की देखभाल, तीन से 6 साल के बच्चों के सर्वांगीण विकास, मानव जीवन चक्र में पोषण की भूमिका, दिव्यांग बच्चों के समावेशन के अधिकार जैसी कई जानकारियां दी गयी. समाज कल्याण विभाग की सचिव वंदना प्रेयषी ने कहा है कि विभाग पहले बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा को सशक्त बनाने के लिए लगातार एक्टिव है. इनके समावेशी विकास के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है.
‘आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंच रही लाभकारी योजनाएं’
वंदना प्रेयषी ने यह भी कहा कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में तमाम लाभकारी योजनाएं आसानी से पहुंचे, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है और इसे लेकर कई तरह के काम किए जा रहे है. ऐसे में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि बिहार के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को अब एडवांस बनाया जा रहा है. कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है. इससे पहले प्ले स्कूल की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों को विकसित करने की पहल भी की गई थी.

