Bihar News: बेगूसराय जिले में 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले सभी कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. सदर अस्पताल परिसर में संघ के अध्यक्ष रंजन कुमार के नेतृत्व में दर्जनों कर्मचारी धरने पर बैठे हैं. कर्मियों ने वेतन, सुविधा और गाड़ियों की मरम्मत जैसी तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन शुरू किया है.
बार-बार आश्वासन के बावजूद न तो समय पर वेतन मिल रहा है, न ही कार्य की स्थिति सुधर रही है. हड़ताल के कारण जिले की आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो गई हैं.
सदर अस्पताल परिसर में शुरू हुआ आंदोलन
एंबुलेंस कर्मियों का यह आंदोलन सदर अस्पताल परिसर से शुरू हुआ है. 102 एंबुलेंस कर्मचारी संघ के बैनर तले दर्जनों कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष रंजन कुमार के नेतृत्व में धरने पर बैठे हुए हैं.
सभी ने एक सुर में कहा कि लंबे समय से वे अपनी समस्याओं को लेकर प्रशासन और कंपनी को अवगत करा रहे थे, लेकिन बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
तीन सूत्री मांगें बनीं हड़ताल की वजह
एंबुलेंस कर्मियों ने अपनी तीन प्रमुख मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की है.
वेतन और सुविधाएं: श्रम अधिनियम के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को उनके कार्य के अनुरूप उचित वेतन और अतिरिक्त कार्य का भुगतान मिलना चाहिए. इसके अलावा समय पर वेतन मिलना अनिवार्य हो. हर महीने वेतन मिलने की निश्चित तिथि तय की जाए और कर्मचारियों को पे-स्लिप भी उपलब्ध कराई जाए.
गाड़ियों की मरम्मत: कर्मियों का कहना है कि एंबुलेंस की तकनीकी खराबियों के कारण अक्सर सेवा प्रभावित होती है. कई बार वाहन लंबे समय तक गैराज में पड़े रहते हैं. इस स्थिति में कर्मचारियों को वेतन से वंचित कर दिया जाता है, जो अनुचित है. उन्होंने मांग की है कि मरम्मत कार्य समय पर हो और खराबी की स्थिति में वेतन में कटौती न की जाए.
वेतन सुरक्षा: कर्मियों का कहना है कि अगर किसी वजह से गाड़ी 10 दिनों तक मरम्मत नहीं हो पाती, तो कर्मचारियों को इसका नुकसान न उठाना पड़े.
मरीजों को उठानी पड़ रही परेशानी
हड़ताल का सबसे ज्यादा असर उन मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें आपातकालीन सेवा की तुरंत जरूरत होती है. जिले के विभिन्न प्रखंडों से सदर अस्पताल और अन्य बड़े स्वास्थ्य केंद्रों तक मरीजों को लाने-ले जाने में दिक्कतें बढ़ गई हैं.
ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों के परिजनों को निजी वाहनों और ऑटो रिक्शा का सहारा लेना पड़ रहा है. कई गरीब परिवारों के लिए यह अतिरिक्त बोझ साबित हो रहा है.
कंपनी की भूमिका पर भी उठे सवाल
एंबुलेंस कर्मी जिस जैन पल्स कंपनी के अधीन काम कर रहे हैं, उसकी कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी की ओर से बार-बार टालमटोल किया जाता है. मरम्मत और वेतन भुगतान जैसी बुनियादी समस्याओं पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा. यही वजह है कि अब वे हड़ताल के लिए मजबूर हुए हैं.
जिले में आपात स्थिति जैसे हालात
102 एंबुलेंस सेवा के ठप होने से जिले की आपातकालीन स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा गई है. आम दिनों में ये एंबुलेंसें प्रसव पीड़िता, दुर्घटना पीड़ित और गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में अहम भूमिका निभाती हैं.
अब इन सेवाओं के अभाव में कई परिवारों को खुद ही व्यवस्था करनी पड़ रही है. स्वास्थ्यकर्मी भी इस स्थिति से चिंतित हैं और मरीजों की सुरक्षा को लेकर असमंजस में हैं.
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