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Gopalganj News: केला और पपीते की खेती से किसानों के घर आई खुशहाली, खेतों पर उमड़ रहे व्यापारी

Gopalganj News: धान-गेहूं की परंपरागत खेती से मुश्किल से घर चलाने वाले गोपालगंज के किसान अब केला और पपीते की मिठास से खुशहाली का स्वाद चख रहे हैं. खेतों तक व्यापारी पहुंच रहे हैं और किसानों को यहीं अच्छी कीमत मिल रही है.

Gopalganj News: गोपालगंज जिले में की पहचान अब केवल परंपरागत फसलों तक सीमित नहीं रह गई है. यहां के किसान धीरे-धीरे फल उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं.

खासकर केला और पपीते की खेती ने किसानों की जिंदगी बदल दी है. जिले के लगभग 70-70 हेक्टेयर में दोनों फलों की खेती हो रही है. इसके अलावा किसानों का रुझान चुकंदर की ओर भी बढ़ रहा है.

कुइसा खुर्द से शुरू हुई नई पहल

पंचदेवरी प्रखंड का कुइसा खुर्द गांव इस बदलाव की मिसाल बना है. करीब दस साल पहले यहां के किसान रामाशंकर पंडित ने पहली बार केला और पपीते की खेती शुरू की थी. पहले वे धान और गेहूं की पारंपरिक खेती करते थे, लेकिन कम आमदनी और मौसम की मार के कारण परिवार का भरण-पोषण मुश्किल हो रहा था. साल 2010 में कृषि विभाग की योजनाओं और सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र से मिले प्रशिक्षण ने उनकी जिंदगी बदल दी.

रामाशंकर ने पपीता की खेती शुरू की और जल्द ही अच्छी आमदनी होने लगी. इसके बाद उन्होंने केला की खेती भी शुरू की. आज उनकी पहल पूरे इलाके के किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है.

खेती से आई खुशहाली

पपीते और केले की खेती से मिली आय ने रामाशंकर पंडित के जीवन को नई दिशा दी. खेती से हुई आमदनी से उन्होंने पक्का मकान बनवाया और अपने तीन बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई. सरकारी योजना का लाभ उठाकर उन्होंने खेत में सोलर पंप लगवाया और वर्मी कम्पोस्ट तैयार करना शुरू किया. आज वे पपीते की नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं.

पड़ोसी गांव कपुरी के किसान आतम सिंह भी बड़े पैमाने पर केला उत्पादन कर रहे हैं. उनका कहना है कि पारंपरिक फसलों की तुलना में फल उत्पादन से दोगुनी कमाई होती है और बाजार की मांग भी लगातार बनी रहती है.

व्यापारी पहुंच रहे हैं खेतों तक

पहले किसानों को अपनी उपज लेकर मंडी तक जाना पड़ता था, लेकिन अब स्थिति बदल गई है. पंचदेवरी और आसपास के गांवों में फल व्यवसायी खुद खेतों तक पहुंच रहे हैं. किसान बताते हैं कि खेत में ही पपीता और केले की अच्छी कीमत मिल जाती है. व्यापारी मौके पर ही खरीद कर ले जाते हैं, जिससे किसानों को परिवहन और दलालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.

परंपरागत खेती से हटकर बागवानी की ओर रुझान

बागवानी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाओं और प्रशिक्षण ने किसानों को दिशा दी. परिणाम यह है कि आज पंचदेवरी प्रखंड और आसपास के गांवों में लगभग 50 एकड़ जमीन पर पपीता और केला की फसल लहलहा रही है.

कृषि विभाग द्वारा चलाई गई योजनाओं ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई. किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण, सोलर पंप और नर्सरी लगाने के लिए सब्सिडी जैसी सुविधाएं दी गईं. विशेषज्ञ बताते हैं कि आधुनिक तकनीक से फल उत्पादन में लागत कम और मुनाफा अधिक होता है. यही कारण है कि धीरे-धीरे और किसान भी बागवानी की ओर बढ़ रहे हैं.

खेती से विकास की नई इबारत

गोपालगंज का यह बदलाव बताता है कि अगर सही समय पर किसान नई फसलों और आधुनिक तकनीक को अपनाएं, तो खेती से खुशहाली का रास्ता निकल सकता है.

कुइसा खुर्द से शुरू हुई यह पहल अब जिले के अन्य गांवों तक फैल चुकी है. पपीता और केले की मिठास सिर्फ खेतों में ही नहीं, बल्कि किसानों के जीवन में भी खुशियां घोल रही है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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