Bihar: पटना. बिहार में पटरियों पर मौत का ग्राफ अचानक बढ़ गया है. बिहार के अलग-अलग रेल खंडों पर बीते तीन माह के दौरान 100 से अधिक मौत की घटनाएं दर्ज की गई हैं. प्रशासन अब इस बात पर मंथन कर रहा है कि रेलवे ट्रैकों पर हो रही दुर्घटनाएं, हत्या हैं या आत्महत्या या फिर हत्या कर मामले निबटाने का नया ट्रेंड है? जीआरपी से लेकर जिले के स्थानीय थानों में इनको लेकर अज्ञात (यूडी) केस दर्ज हुआ है. इनमें कइयों की पहचान नहीं हो सकी है. इस कारण अधिकतर मामले अनसुलझे हैं. उनकी हत्या हुई या उन्होंनेन्हों खुद जान दी? इस बात की जानकारी नहीं मिल पा रही है.
लगातार हो रही इस तरह की घटनाएं
बिहार पुलिस के एडीजी (रेलवे) बच्चू सिंह मीणा इस संबंध में कहते हैं कि लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही है. स्पष्ट रूप से ऐसा नहीं कहा जा सकता कि हत्या कर शव फेंक दिए गए हैं, लेकिन आंकड़े चौकानेवाले जरूर हैं. हाल ही में पटना के धनरुआ में ऐसा एक मामला सामने आया है. उन्होंने रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाएं बढ़ने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि यात्रियों में इसके प्रति जागरुकता को लेकर विशेष अभियान चलाया जाएगा.
सबसे अधिक मौते आरा-सासाराम रेलखंड पर
बीते 3 माह में बिहार के विभिन्न रेल खंडों पर सात दर्जन से अधिक मौतें हुई हैं. इनमें अधिकतर मौत ट्रेन से गिरने या ट्रैक पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से बताई जा रही है. इस अवधि में दानापुर-डीडीयू और आरा-सासाराम रेलखंड पर पिछले करीब 40 लोगों की मौत होने की सूचना है. मृतकों में 6 लोगों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है. गया-डीडीयू रेलखंड पर बीते 3 माह के अंदर 13 लोगों की मौत हुई. इसी तरह, वैशाली जिले के विभिन्न रेल खंडों पर 10 व्यक्तियों, बेगूसराय जिले के विभिन्न रेलवे थाना क्षेत्रों में 17 और छपरा (सारण) जिले के विभिन्न रेल थाना क्षेत्रों में 4 लोगों की मौत दर्ज की गई. रघुनाथपुर से चौसा रेलवे स्टेशन के बीच करीब 18 लोगों की अलग-अलग ट्रेनों से कटकर मौत बताई गई है.
लापरवाही से हो रहे हैं हादसे
बिहार पुलिस का मानना है कि रेलवे ट्रैकों पर लापरवाही के चलते रन ओवर (ट्रेन की चपेट में आने से मौत) के मामले बढ़े हैं. कुछ लोग बिना ट्रेन रुके ही उतरने की कोशिश में हादसे का शिकार हो जाते हैं. वहीं, युवाओं में इयरफोन लगा चलने की प्रवृति के चलते भी रेलवे ट्रैकों पर हादसे हो रहे हैं. रेल पुलिस के अनुसार आउटर सिग्नल से बाहर रेलवे ट्रैक पर होने वाले हादसे की जांच की जिम्मेदारी संबंधित स्थानीय थाना की होती है. रेल अधिकारी के अनुसार हत्या कर रेलवे ट्रैक पर शव फेंकने के मामले छिप नहीं सकते. ऐसी कोई घटना होने पर उनके परिवार के सदस्य पड़ताल करते पहुंच ही जाते हैं.

