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मिड डे मिल में गड़बड़ी मिलने पर शिक्षकों के अलावा अब ये भी नपेंगे, ACS एस सिद्धार्थ का नया फरमान जारी

Bihar Mid Day Meal: बिहार में मिड डे मील योजना अब बच्चों के पोषण की बजाय भ्रष्टाचार का जरिया बनती दिख रही है. स्कूलों में फर्जी हाजिरी और घटिया भोजन परोसकर वर्षों से सरकारी फंड का गबन होता रहा है. अब जिम्मेदार अफसर भी कार्रवाई की जद में हैं.

Bihar Mid day Meal: बिहार सरकार की मिड डे मील योजना जो बच्चों को भूख से राहत और पढ़ाई से जोड़ने का जरिया बननी थी अब गबन का जरिया बन गई है. स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति का झूठा आंकड़ा दिखाकर प्रधान शिक्षक वर्षों से सरकारी राशि का हेरफेर करते रहे हैं. लेकिन अब यह गड़बड़ी सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं मानी जाएगी विभाग ने चेताया है कि जो अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं वे भी अब कार्रवाई की जद में आएंगे.

ACS सिद्धार्थ ने दिया सख्त निर्देश

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने स्पष्ट कहा है कि मिड डे मील में अनियमितता की शिकायतों को अब हल्के में नहीं लिया जाएगा. अब सिर्फ प्रधानाध्यापक ही नहीं, बल्कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक और साधनसेवी जैसे पदाधिकारी भी दोषी माने जाएंगे. किसी भी स्तर पर मिली चूक पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.

खाने की थाली में कटौती, बच्चों की हाजिरी में मिलावट

शिकायतों के आधार पर जो सच्चाई सामने आई है, वह चौंकाने वाली है. बच्चों को मेन्यू के अनुरूप भोजन नहीं दिया जा रहा. घटिया और कम मात्रा में खाना परोसा जाता है, जबकि कागज पर सब कुछ ‘पूर्ण’ दिखाया जाता है. कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज होती है, लेकिन वे स्कूल आए ही नहीं होते. इन सबके बावजूद राशन और फंड का उपयोग दिखाकर पूरी रकम निकाल ली जाती है.

DM को चावल सप्लाई पर विशेष नजर रखने का निर्देश

डॉ सिद्धार्थ ने जिलाधिकारियों से अपील की है कि चावल की आपूर्ति में कोई रुकावट न आए. उन्होंने कहा कि यह योजना केवल भोजन तक सीमित नहीं, बल्कि बच्चों के पोषण और भविष्य से जुड़ी है. इसलिए हर जिले में इसकी मॉनिटरिंग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

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मिड डे मील की योजना जिस मकसद से शुरू हुई थी स्कूल छोड़ने की दर घटाने और पोषण स्तर बढ़ाने के लिए वह मकसद अब खुद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता दिख रहा है. सवाल सिर्फ शिक्षकों पर नहीं, उस पूरे ढांचे पर है जो इन गड़बड़ियों पर आंखें मूंदे बैठा रहा.

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