:: अब अक्टूबर में एक बार फिर से 81.35 अंकों के साथ अग्रणी रहने का मिला खिताब संवाददाता,पटना बिहार एक साल से मरीजों को मुफ्त दवा देने में देशभर में पहले पायदान पर बना हुआ है.यह सफलता विभाग को शहर से गांव तक बड़े अस्पतालों से निचले स्तर पर मौजूद स्वास्थ्य केंद्रों में दवा की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के बाद मिली है. इस मामले में राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का कहना है कि गंभीर बीमारियों से लेकर सर्दी, खांसी, बुखार और दूसरे सामान्य रोगों से पीड़ित लोगों के लिए सरकार की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य की बुनियादी ढांचे को तेजी से मजबूत किया जा रहा है. इसी का परिणाम है कि राज्य रोगियों को निशुल्क दवा उपलब्ध कराने के मामले में लगातार अग्रणी बना हुआ है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से रोगियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्यों को हर महीने मासिक रैंकिंग दी जाती है. रोगियों को निशुल्क दवा मुहैया कराने के क्षेत्र में पिछले वर्ष अक्तूबर में बिहार ने 79.34 अंकों के साथ राजस्थान को पीछे छोड़ते हुए पहला स्थान हासिल किया था. इसके बाद राज्य इस स्थान पर लगातार अपना कब्जा बरकरार रखे हुए है. इस साल फिर से अक्टूबर में रोगियों को दवा उपलब्ध कराने में बिहार ने 81.35 अंकों के साथ पहले स्थान का खिताब जीता. 77.77 अंकों के साथ राजस्थान दूसरे स्थान पर तो 71.80 अंकों के साथ पंजाब तीसरे स्थान पर है. राज्यभर में चलाए गए हैं 165 औषधि वाहन दवा और अन्य चिकित्सकीय सामग्रियों की आपूर्ति को मजबूत बनाने के लिए राज्य में जीपीएस से लैस 165 औषधि वाहन चलाए जा रहे हैं. योजना का उद्देश्य राज्य के नागरिकों को मुफ्त दवा उपलब्ध कराना है, ताकि कोई भी रोगी दवा की कमी के कारण इलाज से वंचित ना रहे. औषधि वाहन के सहारे राज्य के सभी सरकारी संस्थान, विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों तक दवाओं की समय से उपलब्धता करायी जा रही है. सभी स्वास्थ्य संस्थानों में क्यूआर कोड सरकारी अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धता की जानकारी मरीजों को भी मिले, इसके लिए हर स्वास्थ्य संस्था पर क्यूआर कोड की सुविधा दी गई है.इस कोड से मरीज और उनके परिजन यह जानकारी प्राप्त कर पा रहे हैं कि संबंधित अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र पर कौन सी दवा उपलब्ध है और कौन सी नहीं है. गरीब और पिछड़े वर्ग को सबसे अधिक फायदा राज्य के करीब 10 हजार 626 सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर हर साल लगभग 6.5 करोड़ मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में मरीजों को मुफ्त दवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं. इस व्यवस्था से गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है, जिन्हें अक्सर महंगी दवाएं खरीदने में दिक्कत होती थी. किस अस्पताल में कितनी तरह की दवाएं मिल रहीं मुफ्त मेडिकल कॉलेज अस्पताल (ओपीडी में 356, आईपीडी में 255 दवाएं यानी 611 प्रकार की दवाएं) जिला अस्पताल (ओपीडी में 287, आईपीडी में 169 दवाएं) अनुमंडलीय अस्पताल (ओपीडी में 212, आईपीडी में 101 दवाएं) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (ओपीडी में 212, आईपीडी में 97 दवाएं) प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (ओपीडी में 201, आईपीडी में 93 दवाएं) शहरी पीएचसी (ओपीडी में 180 दवाएं) अतिरिक्त पीएचसी (ओपीडी में 140, आईपीडी में 53 दवाएं) हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (151 दवाएं) स्वास्थ्य उपकेंद्र (97 दवाएं)
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