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दवा, जांच और सलाह, सब एक जगह! बिहार में HIV इलाज को लेकर बड़ी तैयारी

Bihar News: बिहार सरकार साल के अंत तक पांच नए ART सेंटर खोलने जा रही है, जिससे HIV संक्रमित मरीजों को अपने जिले में ही दवा और परामर्श मिल सकेगा. इससे लंबी यात्रा, कतारों और हर महीने की परेशानी कम होगी. नए केंद्रों के साथ राज्य में ART सुविधाओं की संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी.

Bihar News: कई सालों से HIV से संक्रमित मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बीमारी नहीं, बल्कि इलाज की प्रक्रिया तक पहुंच रही है. दवा लेने के लिए दूसरे जिले की यात्रा, लंबी कतारें और हर महीने की भागदौड़ करना पद राह है. इन सबके बीच अब बिहार के हजारों मरीजों के लिए राहत की खबर है. राज्य सरकार साल के अंत तक बिहार में पांच नए एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) सेंटर खोलने जा रही है. यह पहल न सिर्फ इलाज को नजदीक लाएगी बल्कि मरीजों के जीवन में स्थिरता और भरोसे की नई शुरुआत भी करेगी. 

फिलहाल 26 जिलों में 29 एआरटी सेंटर

बिहार में फिलहाल 26 जिलों में 29 एआरटी सेंटर चल रहे हैं लेकिन कई जिलों के मरीजों को अब भी इलाज के लिए दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है. इस मजबूरी को समझते हुए बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS) ने तय किया है कि हर जिले में ART सेंटर की सुविधा सुनिश्चित की जाएगी. नए सेंटर खुलने के बाद राज्य में इनकी संख्या बढ़कर 34 हो जाएगी. 

2021 के बाद बदली तस्वीर

साल 2021 के बाद से HIV इलाज की सुविधाओं में विस्तार हुआ है. बीते कुछ सालों में राज्य में 15 नए ART सेंटर शुरू किए गए, जिससे इलाज की पहुंच पहले से कहीं बेहतर हुई है. पटना से लेकर कटिहार, दरभंगा, भागलपुर और गया तक अब मरीजों को अपने ही क्षेत्र में नियमित दवा और परामर्श मिल रहा है. जिन जिलों में अभी पूरी तरह से ART सेंटर नहीं हैं, वहां लिंक ART सेंटर के जरिए यह कोशिश की जा रही है कि किसी मरीज को इलाज से वंचित न रहना पड़े.

जहां खुलेंगे नए सेंटर

संक्रमण की स्थिति और मरीजों की संख्या को ध्यान में रखते हुए जिन संस्थानों में नए सेंटर खोले जाएंगे, वे राज्य के बड़े और भरोसेमंद चिकित्सा केंद्र हैं. इनमें AIIMS पटना, IGIMS, NMCH, ESIC मेडिकल कॉलेज बिहटा और किशनगंज का माता गुजरी मेडिकल कॉलेज शामिल हैं. इन जगहों पर सेंटर खुलने से न सिर्फ पटना बल्कि सीमावर्ती जिलों के मरीजों को भी बड़ी राहत मिलेगी.

इलाज से आगे, देखभाल पर जोर

एआरटी सेंटर केवल दवा वितरण तक सीमित नहीं हैं. यहां खून की जांच, नियमित परामर्श, मानसिक सहयोग और टीबी या अन्य अवसरवादी संक्रमणों का इलाज भी किया जाता है. एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की विशेष देखभाल के जरिए संक्रमण की अगली पीढ़ी तक पहुंच को रोकने का प्रयास भी इन केंद्रों का अहम हिस्सा है. 

डॉ. राजेश सिन्हा ने क्या कहा ? 

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (BSACS) के उप निदेशक डॉ. राजेश सिन्हा के अनुसार सरकार की मंशा साफ है. इलाज किसी की पहुंच से बाहर न हो. जिन जिलों में अभी लिंक एआरटी सेंटर के सहारे काम चल रहा है, वहां भी जल्द पूर्ण एआरटी सेंटर खोलने की तैयारी है. 

Also read: साल 2030 तक एड्स को पूरी तरह से समाप्त करने का है लक्ष्य

HIV से जूझ रहे लोगों के लिए यह सिर्फ एक सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि उस सफर का अंत है जिसमें इलाज पाने के लिए उन्हें हर महीने लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. अब इलाज पास होगा, भरोसा मजबूत होगा और जीवन की रफ्तार फिर से सामान्य होने लगेगी. 

Nishant Kumar
Nishant Kumar
Nishant Kumar: निशांत कुमार पिछले तीन सालों से डिजिटल पत्रकारिता कर रहे हैं. दैनिक भास्कर (बक्सर ब्यूरो) के बाद राजस्थान पत्रिका के यूपी डिजिटल टीम का हिस्सा रहें. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. देश-विदेश की कहानियों पर नजर रखते हैं और साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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