Bihar Gold Reserve: भारत में सोना सिर्फ आभूषण या निवेश नहीं, बल्कि भावनाओं की धरोहर है. मगर अब यह चमक सिर्फ गले और बाजुओं तक सीमित नहीं रही—बल्कि धरती के नीचे भी सुनहरी कहानियां छिपी हैं.
नए आंकड़ों के मुताबिक, बिहार के जमुई जिले में भारत का सबसे बड़ा सोने का भंडार मिला है. करीब 222.8 मिलियन टन गोल्ड रिजर्व के साथ बिहार ने कर्नाटक और राजस्थान जैसे सोना-समृद्ध राज्यों को भी पीछे छोड़ दिया है.
सोना भारतीय अर्थव्यवस्था की धड़कन है. यह सिर्फ जेवर या निवेश नहीं, बल्कि भरोसे की मुद्रा है. भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी भंडार में जितना डॉलर और यूरो है, उसमें सोने की चमक बराबरी की भूमिका निभाती है.
हाल में जारी भू-वैज्ञानिक आंकड़ों के मुताबिक, भारत के पास कुल 120 मिलियन टन से अधिक स्वर्ण अयस्क भंडार हैं, जो लगभग 759 टन प्राइमरी गोल्ड प्रदान कर सकते हैं. लेकिन दिलचस्प तथ्य यह है कि इस स्वर्ण सम्पदा का सबसे बड़ा हिस्सा एक ऐसे राज्य में है, जो आज तक खनन के लिहाज से पीछे समझा जाता था — बिहार.
जमुई का खजाना, बिहार की उम्मीद
बिहार के जमुई जिले के पास अकेले ही भारत के कुल स्वर्ण संसाधनों का 44 प्रतिशत हिस्सा है. यह आंकड़ा लगभग 222.8 मिलियन टन सोने के अयस्क के बराबर है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ एक भूखण्ड नहीं, बल्कि भविष्य की आर्थिक शक्ति का आधार हो सकता है.
अब तक बिहार में औद्योगिक निवेश और खनिज दोहन सीमित रहा है, लेकिन यह खोज अगर व्यवहारिक रूप से खनन में बदलती है, तो राज्य न केवल आत्मनिर्भरता बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का केंद्र बन सकता है.
सोने की दौड़ में बिहार सबसे आगे
भारत में अब तक सोने की बात होती थी तो सबसे पहले नाम आता था कर्नाटक का—कोलार और हुत्ती गोल्ड माइंस के लिए मशहूर राज्य. मगर अब यह कहानी बदल गई है. जमुई की धरती के नीचे जितना सोना दबा है, वह देश के कुल सोने के अयस्क का लगभग 44 प्रतिशत हिस्सा है. भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) की रिपोर्ट बताती है कि यहां का ‘सोना क्षेत्र’ इतना विशाल है कि अगर खनन शुरू हो जाए, तो बिहार देश के स्वर्ण उत्पादन का केंद्र बन सकता है.
निवेश की नयी रोशनी
नीति आयोग और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) पहले ही बिहार और राजस्थान के गोल्ड बेल्ट में विस्तृत सर्वे की सिफारिश कर चुके हैं. विदेशी कंपनियाँ—खासकर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की खनन एजेंसियां—भारतीय बाजार में रुचि दिखा रही हैं.
अगर बिहार में यह परियोजना आगे बढ़ती है, तो यह न सिर्फ राज्य बल्कि भारत की आर्थिक शक्ति को भी मजबूती देगी. बिहार, जो अब तक कृषि प्रधान राज्य माना जाता था, अब “मिनरल इकॉनमी” की दिशा में पहला बड़ा कदम रख सकता है.
भारत में सोना सिर्फ संपत्ति नहीं, बल्कि परंपरा का हिस्सा है. हर परिवार में पीढ़ियां इसके साथ जुड़ी कहानियां लेकर आगे बढ़ती हैं. यही कारण है कि जब किसी राज्य की धरती से स्वर्ण की खबर आती है, तो यह केवल आर्थिक नहीं, सांस्कृतिक उत्सव भी बन जाती है.
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