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Bihar Flood: बिहार में हथिया का कहर, दो दिन में सामान्य से 929 फीसदी अधिक बारिश

Bihar Flood: बिहार और नेपाल के तराई इलाकों में लगातार हो रही बारिश से कोसी समेत राज्य की अधिकतर प्रमुख नदियां उफान पर हैं. इस बार कई वर्षों बाद हथिया में तेज और लगातार बारिश हो रही है. हथिया नक्षत्र बारह अक्तूबर तक है.

Bihar Flood: पटना. बिहार के उत्तर पश्चिम एवं उत्तर पूर्वी भाग में सामान्य से अधिक बारिश के चलते कोसी, बागमती, महानंदा नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है. इससे सुपौल, सीतामढ़ी, किशनगंज, मधेपुरा आदि जिलों के खेतों में पानी भर गया है. हथिया की आंधी-बारिश नेबिहार के कई इलाकों में खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचाया है. बिहार मौसम सेवा केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दिनों में सामान्य से 929 फीसदी अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई है. पिछले दो दिनों में राज्य में 92.9 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है, जबकि इस अवधि में सामान्य बारिश 10 मिमी है. मौसम सेवा केंद्र ने अगले 48 घंटे के दौरान राज्य के ज्यादातर भागों में आंशिक रूप से बादल छाए रहने के साथ 40 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा गति से आंधी चलनेकी आशंका जतायी है.

कोसी बराज के सभी गेट खोले गये

लगातार हो रही बारिश से उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं. कोसी में रिकॉर्ड जलप्रवाह के कारण वीरपुर बराज के सभी 56 फाटक खोल दिए गए हैं. रविवार की शाम चार बजे तक कोसी बराज से पांच लाख 33 हजार 540 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. हालांकि, अधिकारियों ने स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है. लेकिन, इस वर्ष पहली बार इतनी मात्रा में पानी छोड़ने से सुपौल के अलावा मधेपुरा और सहरसा जिले में भी कोसी का जलस्तर बढ़ा है. जल संसाधन विभाग के निर्देश पर इंजीनियर लगातार पेट्रोलिंग कर रहे हैं. तटबंध सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रहने को कहा गया है.

किसान को भारी नुकसान

नदियों में आये उफान से सबसे ज्यादा किसानों को नुकसान हुआ है. इस समय उत्तर बिहार में धान की अगात फसल लगाई जाती है. सबसे ज्यादा नुकसान आलू, सब्जी, धान की अगात फसल और मोटे अनाज को हुआ है. खेतों में पानी जमा होने से सब्जी और मोटे अनाज के पौधे डूब गए हैं. तेज हवा चलने से धान के पौधे खेतों में झुक गए हैं. उत्तर बिहार के सारण और कोसी प्रमंडलों से नुकसान की ज्यादा शिकायत आई है. दक्षिण बिहार में शाहाबाद के इलाके पर भी आंधी-बारिश का असर हुआ है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि खरीफ की बर्बादी के साथ ही रबी फसलों के लगाने में देरी होगी. वैसे चार-पांच दिन बाद मौसम अगर साफ हो जाए तो नुकसान कम किया जा सकता है.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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