भारत के युवकों को म्यांमार में बंधक बनाकर उनसे जबरन साइबर फ्रॉड का काम करवाया जाता था. पटना के कंप्यूटर साइंस इंजीनियर समेत कुल 42 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया. इनमें बिहार के भी 5 युवक शामिल हैं. स्कैम सेंटर से रेस्क्यू किए गए इन युवकों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए.
साइबर फ्रॉड का काम करने से मना करने पर देते थे इलेक्ट्रिक शॉक
पटना के इंजीनियर सचिन कुमार सिंह समेत गोपालगंज के तीन और दरभंगा के एक युवक का भी रेस्क्यू हुआ है. दानापुर निवासी सचिन ने बताया कि म्यांमार में इनसे जबरन साइबर फ्रॉड का काम करवाया जाता था. जब वो मना करते तो बिजली का झटका दिया जाता था. साइबर फ्रॉड का काम करवाने के लिए मारपीट की जाती थी.
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चीन के लोगों ने पूरा सेटअप रखा है तैयार
सचिन ने बताया कि म्यांमार में एक बड़ी बिल्डिंग में चीन के लोगों ने पूरा सेटअप तैयार किया है. जिसमें हाइटेक कंप्यूटर, एक्सचेंज और कॉल सेंटर सब भी हैं. अलग-अलग देशों के इंजीनियरों को जॉब का लालच देकर ये बंधक बना लेते हैं. वहां सभी के मोबाइल और पासपोर्ट आदि जब्त कर लेते हैं. अगर कोई साइबर क्राइम करने से मना करता है तो उन्हें मारपीट कर उनकी तस्वीर परिजनों को भेजते हैं और पैसे ऐंठते हैं.
ऐसे जाल में फंसा बिहार का सचिन
अश्लील वीडियो के लिए चीन की लड़कियों को भी एक अलग सेटअप में ये फ्रॉड रखते हैं. सचिन ने बताया कि वो दानापुर में स्कूल और कोचिंग चलाते थे. जब कोविड में काप ठप हुआ तो नेपाल में अपने जानकार धर्मेंद्र से संपर्क किया और जॉब दिलाने की बात कही. धर्मेंद्र ने सालाना 12 लाख रुपए की कंप्यूटर की नौकरी दिलाने का नाम कहकर उसे म्यांमार भेजा था.

