Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण का मतदान बीते गुरुवार को शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ, लेकिन इसके बाद प्रशासनिक आंकड़े एक अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं.
चुनाव आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में कुल 35 आचार संहिता उल्लंघन के मामले दर्ज हुए हैं. जबकि पुलिस मुख्यालय के अनुसार, छह अक्टूबर से अभी तक आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के 428 मामले दर्ज किए गए हैं इनमें सबसे ज्यादा नौ मामले पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र से हैं, जहां एनडीए, राजद और जनसुराज के प्रत्याशी तक जांच के दायरे में हैं.
आदर्श आचार संहिता के 428 मामले दर्ज, दीघा में सबसे ज्यादा कार्रवाई
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, छह अक्टूबर से अभी तक आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के 428 मामले दर्ज किए गए हैं. इंटरनेट मीडिया पर भ्रामक खबरें और अफवाहों फैलाने वालों पर नजर रखने के लिए मुख्यालय स्तर पर सोशल मीडिया मानीटरिंग सेल बनाकर कार्रवाई की जा रही है. चुनाव के दौरान बिहार पुलिस के स्तर से मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाया गया जिसका रीच करीब 32 लाख रहा.
राजधानी पटना का दीघा विधानसभा क्षेत्र इस बार प्रशासन की निगरानी में सबसे ऊपर है. जिला प्रशासन द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट में बताया गया कि यहां आचार संहिता के नौ मामले दर्ज हुए हैं. आरोप है कि कई उम्मीदवारों ने प्रचार सीमाओं को पार किया, सोशल मीडिया पर बिना अनुमति के प्रचार सामग्री साझा की और चुनावी जुलूसों में भीड़ नियंत्रण के नियमों की अनदेखी की.
दानापुर और मोकामा भी निगरानी में
दीघा के बाद दानापुर विधानसभा में पांच मामले दर्ज हुए हैं. इनमें राजद प्रत्याशी रीतलाल यादव को समर्थन देने वाली कुछ आंगनबाड़ी सेविकाओं और शिक्षिकाओं को भी नामजद बनाया गया है. प्रशासन का कहना है कि सरकारी कर्मियों द्वारा किसी भी दल विशेष का खुला समर्थन आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है.
वहीं मोकामा और बाढ़ विधानसभा क्षेत्रों से चार-चार मामले दर्ज हुए हैं. इन मामलों में अवैध बैनर-पोस्टर लगाना, अनुमति से अधिक लाउडस्पीकर का उपयोग और वाहनों पर पार्टी प्रतीक चिह्न लगाने जैसी शिकायतें शामिल हैं.
जनसुराज पर सबसे अधिक केस
जिला प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, जनसुराज पार्टी के खिलाफ सबसे अधिक नौ मामले दर्ज किए गए हैं. वहीं राजद पर आठ, भाजपा और जदयू पर चार-चार, कांग्रेस पर दो, एलजेपी (रामविलास) पर दो और सीपीआई (एमएल) पर एक मामला दर्ज हुआ है.
इन मामलों में कई चर्चित नाम शामिल हैं. जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी, जदयू के अनंत सिंह, राजद के भाई वीरेंद्र और कर्मवीर सिंह यादव, भाजपा के सियाराम सिंह, कांग्रेस प्रत्याशी सतीश कुमार और स्वतंत्र उम्मीदवार शैलेश कुमार के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है.
‘लोकतंत्र के त्योहार’ में अनुशासन की दरकार
चुनाव आयोग के अधिकारी बताते हैं कि अधिकांश मामलों में बिना अनुमति जुलूस, वाहन पर लाउडस्पीकर, पोस्टर-बैनर लगाना या सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री साझा करना जैसे उल्लंघन शामिल हैं. प्रशासन का कहना है कि सभी मामलों की जांच की जा रही है और संबंधित उम्मीदवारों पर कार्रवाई की जाएगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा — “लोकतंत्र का यह उत्सव तभी सार्थक होगा जब सभी दल और प्रत्याशी नियमों का सम्मान करें. प्रचार की आजादी लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन अनुशासन की सीमाएं सबके लिए समान हैं.”
चुनावी मुकाबले में बढ़ता दबाव
पहले चरण के बाद जैसे-जैसे दूसरे और तीसरे चरण की ओर बिहार का राजनीतिक माहौल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे प्रशासन की सख्ती भी बढ़ती जा रही है. पटना जिले में जहां हर थाने को निर्देश दिया गया है कि चुनावी गतिविधियों पर 24 घंटे निगरानी रखी जाए, वहीं सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल को भी सक्रिय किया गया है.
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि जिन उम्मीदवारों के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन साबित होगा, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वे किसी भी दल से क्यों न हों.
पहले चरण के मतदान में रिकॉर्ड मतदान के साथ ही आचार संहिता उल्लंघन के रिकॉर्ड भी बन गए हैं. दीघा, दानापुर और मोकामा जैसे हॉट सीटों पर जिस तरह से आरोपों की बौछार हुई है, वह बताता है कि बिहार का चुनावी रण सिर्फ वोट की जंग नहीं, बल्कि नियमों की परीक्षा भी है. अब देखना यह होगा कि आयोग इन मामलों में कितनी सख्ती दिखाता है और क्या अगले चरणों में ये घटनाएं थमती हैं या नहीं.

