Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है. इस चरण में राज्य के 11 जिलों की 61 सीटों पर वोट डाले जाएंगे, जिनमें सीमांचल के 4, मगध के 5 और शाहाबाद के 2 जिले शामिल हैं. यह चरण एनडीए के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि पिछले चुनाव (2020) में इन इलाकों में एनडीए का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था. तब 61 सीटों में से महागठबंधन ने 42, एनडीए ने 18 और एआईएमआईएम ने 1 सीट जीती थी.
सीमांचल: पिछली बार एनडीए का ‘नो एंट्री जोन’
सीमांचल के चार जिलों किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं. 2020 में इन सीटों पर महागठबंधन और एआईएमआईएम ने लगभग पूरी बाजी मार ली थी. किशनगंज की चारों सीटों में एनडीए का खाता तक नहीं खुला था. वहीं, एआईएमआईएम ने सीमांचल में पांच सीटें जीतकर मुस्लिम बहुल इलाकों में मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी. बाद में उसके चार विधायक राजद में शामिल हो गए, जिससे महागठबंधन की ताकत और बढ़ गई.
इस बार सीमांचल में भाजपा और जदयू दोनों ने एआईएमआईएम और राजद को कड़ी चुनौती देने की तैयारी की है, लेकिन 2020 का रिकॉर्ड बताता है कि यहां जातीय और धार्मिक समीकरण एनडीए के लिए कठिन राह बना सकते हैं.
मगध: 26 सीटों में से 20 पर महागठबंधन का कब्जा
मगध क्षेत्र, यानी गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद और नवादा के 26 विधानसभा क्षेत्रों में पिछली बार एनडीए का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा. इन 26 सीटों में एनडीए को मात्र 6 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन ने 20 सीटें जीतीं. सबसे खराब स्थिति अरवल, जहानाबाद और औरंगाबाद में रही, जहां एनडीए को एक भी सीट नहीं मिली थी. गया जिले की दस सीटों में एनडीए और महागठबंधन ने पांच-पांच सीटें बांट ली थीं. हालांकि बाद में उपचुनाव में बेलागंज सीट जदयू ने राजद से छीन ली थी, जिससे थोड़ा संतुलन बहाल हुआ.
शाहाबाद: रोहतास और कैमूर बने ‘महागठबंधन किला’
शाहाबाद इलाके के दो प्रमुख जिले रोहतास और कैमूर में भी पिछली बार एनडीए का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा था. 2020 के चुनाव में रोहतास की सभी 7 सीटों पर महागठबंधन ने जीत दर्ज की थी, जबकि कैमूर की चार में से तीन सीटों पर भी उसका कब्जा रहा. बसपा ने यहां एक सीट जीती थी, लेकिन उसके विधायक जमा खान बाद में जदयू में शामिल होकर मंत्री बन गए.
अब जब 11 नवंबर को इन जिलों में मतदान होना है, तो नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व दोनों के लिए यह क्षेत्र प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. एनडीए इस बार शाहाबाद के इस “महागठबंधन किले” में सेंध लगाने की हरसंभव कोशिश में जुटा है.
पहले चरण में नहीं होगा दोबारा मतदान
पहले चरण की वोटिंग (6 नवंबर) के बाद कुछ शिकायतें जरूर सामने आई थीं, लेकिन निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि कहीं भी दोबारा मतदान की जरूरत नहीं पड़ेगी. आयोग के उप निदेशक पी. पवन के अनुसार, 121 विधानसभा क्षेत्रों में हुई वोटिंग के दस्तावेजों खासकर फॉर्म 17ए की जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई. इससे आयोग ने साफ संकेत दे दिया है कि अब पूरा ध्यान दूसरे चरण पर केंद्रित रहेगा, जहां राजनीतिक समीकरणों के साथ एनडीए और महागठबंधन दोनों की भविष्य की रणनीति तय होनी है.

दूसरा चरण तय करेगा चुनाव की दिशा
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो दूसरे चरण के नतीजे बिहार चुनाव का रुख तय करेंगे. सीमांचल और मगध जैसे इलाके जहां 2020 में महागठबंधन के गढ़ बने, वहीं इस बार एनडीए के लिए यह ‘रिकवरी जोन’ हैं.
एनडीए को न केवल पुराने नुकसान की भरपाई करनी है, बल्कि अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का भी मौका है. महागठबंधन, दूसरी ओर, पिछली जीत को दोहराने के मूड में है और राहुल गांधी, तेजस्वी यादव जैसे नेता लगातार इन जिलों में रैलियां कर रहे हैं. इन 11 जिलों की 61 सीटों के नतीजे ही तय करेंगे कि 2025 का बिहार किस गठबंधन की ओर झुकेगा, सत्ता में वापसी या नया समीकरण.

