मुख्य बातें
Bihar Election Result: पटना. बिहार विधानसभा की करीब तीन दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां दो से पांच फीसदी वोट से परिणाम बदलते रहे हैं. इन विधानसभा क्षेत्रों में इस बार पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है. पहले चरण की 121 सीटों में से 43 सीटें (35.54%) तो ऐसी हैं, जहां इस बार 10% या उससे अधिक वोट पड़े हैं. इनमें सबसे अधिक मुजफ्फरपुर जिले की नौ सीटें शामिल हैं. दूसरे नंबर पर समस्तीपुर जिला है, जहां की आठ सीटों पर 10% या उससे अधिक मतदान हुआ है. पहले चरण की 20 सीटों पर 12% या उससे अधिक, जबकि तीन सीटों पर 15% या उससे अधिक मतदान हुआ है. सबसे अधिक समस्तीपुर की कल्याणपुर सीट पर मतदान में 16% बढ़ोतरी हुई है.
Bihar Election: एक फीसदी से भी कम वोट का अंतर बदला है परिणाम
बिहार विधानसभा चुनाव में रिकार्ड वोटिंग कई सीटों पर परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक असर उन सीटों पर देखने को मिलेगा, जहां पिछली बार काफी कम अंतर से जीत और हार तय हुई थी. इनमें वो पांच सीटें भी शामिल हैं, जिन पर 2020 के चुनाव में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों से कम का रहा था. ये सीटें हैं बखरी, बरबीघा, भोरे, मटिहानी और हिलसा. उस चुनाव में इन पांच सीटों में से तीन पर जेडीयू और एक सीपीआई और एक पर तत्कालीन लोकजनशक्ति पार्टी ने जीत दर्ज किया था. बीजेपी, कांग्रेस, जेडीयू, आरजेडी और सीपीआईएमएल को एक-एक सीट पर दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था.
Bihar Election: बिहार में 24 फीसद वोटर GEN Z
जानकारों की माने तो बिहार में 64.66 फीसद मतदान के पीछे पहली बार वोट देनेवाले मतदाताओं की बढ़ी भागीदारी भी है. इस बार के मतदान में GEN Z की अहम भूमिका मानी जा रही है. दरअसल, ऐसा इस लिए कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में 24 फीसद से अधिक GEN Z हैं. GEN Z को लेकर मतदान से पहले भी तमाम दलों में खास रणनीति तैयार की जा रही थी. बिहार विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियां इस युवा वर्ग को लुभाने में लगी है. एक तरफ जहां नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री इस वर्ग को अपने पक्ष में लाने का प्रयास करते दिखे, वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी नौकरी और राहुल गांधी इस वर्ग को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनका वोट चोरी हो रहा है. वैसे GEN Z को अपने पक्ष में करने में प्रशांत किशोर भी पीछे नहीं दिख रहे हैं.
Bihar Election: वोट प्रतिशत बढ़ने के क्या रहे कारण
वोट प्रतिशत में इतने बड़े उछाल के पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं. अधिकतर लोगों की राय में यह उछाल एसआइआर के कारण हुआ है. आंकड़ों के जानकारों की माने तो एसआइआर में इन इलाकों में काफी वोटरों के नाम काटे गये हैं. इससे प्रतिशत वोट में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. वैसे इसके पीछे एक और कारण यह बताया जा रहा है कि एसआइआर से लोगों में डर फैला है कि अगर हमने वोट नहीं दिया तो कल्याणकारी योजनाओं से हमारा भुगतान कट जाएगा. ये डर सिर्फ़ मुस्लिमों में नहीं है, बल्कि अति पिछड़ों में भी है. कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उनको भी मिलता है.
Bihar Election: इतने वोटरों को बूथ तक नहीं ला सकती है प्रो-इनकम्बेंसी
मत प्रतिशत बढ़ने से परिणामों पर असर को लेकर विशेषज्ञों में आम राय नहीं है. मीडिया से बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं,” वोट फ़ीसदी बढ़ने के पीछे एंटी इनकम्बेंसी भी एक कारण हो सकती है, क्योंकि प्रो-इनकम्बेंसी इतनी तादाद में मतदाताओं को बूथ तक नहीं ला सकती. अभी हमारे पास बढ़े हुए मत प्रतिशत का अभी ब्रेकअप नहीं है कि इसमें पुरुष और महिला कितने हैं. वो ब्रेकअप बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि महिला वोटर का बढ़ना सामान्य तौर पर बिहार में प्रो नीतीश से जोड़ा जाता रहा है. मत प्रतिशत बढ़ने की और भी वजहें हो सकती हैं, जिसका आकलन करने में काफी समय लगेगा. तभी मत प्रतिशत बढ़ने के सही मायने समझ में आएंगे.”
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