Table of Contents
Bihar Election 2025: आनंद तिवारी, पटना. बिहार में 06 और 11 नवंबर को वोटिंग होनी है. मतदान की तारीख नजदीक आ रही है. लेकिन हालात कुछ ऐसे हैं कि इस बार प्रदेश में कम मतदान होने का डर सता रहा है. इसकी एक प्रमुख वजह है कि पटना से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, पंजाब, सूरत और मध्य प्रदेश की ओर जाने वाली ट्रेनों में परदेशी ठूस-ठूस कर यात्रा करते हुए जा रहे हैं. अगले 15 नवंबर तक टिकटों की डिमांड बहुत ही ज्यादा बनी हुई है और सभी ट्रेनों में लंबी वेटिंग हैं.
परिवार के भरण पोषण और पेट के खातिर वोट छोड़ जाना पड़ रहा परदेश
रेलवे ने पिछली बार के मुकाबले इस दीपावली और छठ में ज्यादा स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं और करीब 20 प्रतिशत ज्यादा लोग प्रदेश से आये थे. वहीं मतदान छोड़ पलायन कर रहे मजदूरों से जब बातचीत की तो उनका कहना है कि छठ में वह अपने गांव आये थे, लेकिन छठ और मतदान के बीच करीब 10 दिन का अंतर है. कंपनी से लंबी छूटी नहीं मिली, ऐसे में परिवार के भरण पोषण और पेट के खातिर वोट छोड़ जाना पड़ रहा है, क्योंकि वोट से ज्यादा नौकरी जरुरी है.
रोजगार, व्यापार और शिक्षा के लिए पलायन बनी मजबूरी
जानकार बताते हैं कि पलायन बिहार की कड़वी सच्चाई है. अपने प्रदेश में नौकरी और रोजगार नहीं मिलने की वजह से लाखों लोग मजबूरन दूसरे राज्यों में पेट की खातिर जाते हैं. बिहार से लोग रोजगार और शिक्षा के लिए भी पूरे देश में पलायन करते हैं, जिसमें से सबसे अधिक 55 से 60% लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य या देश में जाते हैं. बिहार सरकार ने अब तक के पलायन को लेकर कोई स्टडी नहीं कराई है, वहीं जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रोजगार के लिए 55%, व्यापार के लिए 3% और शिक्षा के लिए 3% लोग बिहार से पलायन करते हैं. बिहार से पलायन करने वाली आबादी में पंजाब जाने वाले लोगों की तादाद 6.19% है.
स्पेशल ट्रेनों में भर-भर कर जा रहे प्रवासी
छठ को देखते हुए रेलवे 10 हजार से अधिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन कर रही है. अकेले दानापुर मंडल से रोजाना 100 से अधिक ट्रेनें विभिन्न राज्यों के लिए जा रही हैं. प्राप्त डेटा के अनुसार खासकर दिल्ली, मुंबई व चेन्नई की ओर जाने वाली सभी ट्रेनों में इस बार जनरल क्लास का औसतन 100% ऑक्यूपेंसी रही, लेकिन कुछ रूट पर ये आंकड़ा 150 प्रतिशत से ऊपर पहुंच रहा है. इसमें पटना से जाने वाली संपूर्णक्रांति, श्रमजीवी, मगध, पाटलिपुत्र व राजेंद्र नगर एलटीटी, पंजाब मेल में सबसे ज्यादा ऑक्यूपेंसी है. इससे पता चलता है कि पलायन जारी है. ऐसे में प्रवासियों के लौटने से जिले के कई विधानसभा क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत घटने की आशंका जतायी जा रही है. चुनावी माहौल के बीच सामूहिक पलायन का यह सिलसिला राजनीतिक दलों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है.
प्रवासियों की कहानी उनकी जुबानी
- यात्री विरेंद्र पाल ने कहा कि छठ में घर आये थे. अब मुंबई जा रहे हैं. जाना मजबूरी है क्योंकि वहां जिस फैक्ट्री में काम करते हैं वहां से 10 दिन की छुट्टी मिली थी. हर हाल में दो नवंबर को ज्वाइन करना है. इसलिए वोट नहीं कर पा रहा हूं.
- यात्री संगीता देवी ने कहा कि हम लोग पटना जंक्शन पर एक दिन पहले से ही बैठे हैं. पटना एर्नाकुलम परिवार के साथ कोयंबटूर जा रहे हैं. मैं, मेरे पति व भाई वहीं पर एक ट्रांसपोर्ट में काम करते हैं. छठ में अपने घर आये थे. हम और हमारा परिवार बहुत तकलीफ में है, इसलिए हमें बाहर कमाने के लिए जाना पड़ रहा है. अगर ज्यादा दिन रहा तो ट्रांसपोर्ट कंपनी पगार काट लेगी. इसको देखते हुए मतदान के पहले जाना पड़ रहा है.
- यात्री रेखा देवी ने कहा कि अगर यहां रोजगार रहता तो हम लोग दो दिन की यात्रा कर लुधियाना कमाने क्यों जाते. मेरे पति व परिवार के सदस्य वहीं सिक्योरिटी एजेंसी में काम करते हैं. जबकि हमारे भागलपुर में 11 नवंबर को मतदान है. ऐसे में 20 दिन रुकने के चलते रोजगार की दिक्कत होने लगती, जिसके चलते हम लोगों को जाना पड़ रहा है.
- यात्री चंदन कुमार ने कहा कि मेरा घर वैशाली जिले में है. मैं पंजाब कमाने जा रहा हूं. अगर अपने गांव-शहर में काम मिलता तो अपना घर बार परिवार छोड़कर परदेश में क्यों जाता. मतदान से पहले पेट भरना जरूरी है. इसलिए हम लोग मजबूरी में पेट पालने के लिए बाहर जा रहे हैं.

