Bihar Bhumi: बिहार में जमीन संबंधी मामलों की रफ्तार पर ब्रेक लगा हुआ है. राजस्व सेवा के लिए बनाए गए नियम तो 15 साल पहले लागू हो गए, लेकिन जमीन विवादों को सुलझाने वाले सबसे महत्वपूर्ण पद भूमि सुधार उप समाहर्ता (DCLR) पद आज भी खाली हैं.
101 में से एक भी पद पर राजस्व सेवा के अफसरों की पोस्टिंग नहीं हुई है. नतीजा यह कि म्यूटेशन, नामांतरण, परिमार्जन, अतिक्रमण और विवाद जैसे मामलों में तेजी नहीं आ पा रही.
2010 में बनी राजस्व सेवा, लेकिन DCLR पद खाली
राज्य सरकार ने 2010 में स्पष्ट उद्देश्य के साथ बिहार राजस्व सेवा का गठन किया था. BPSC के माध्यम से राजस्व अधिकारी (RO) की नियुक्ति की गई, जिनमें से ही भविष्य में सीओ, डीसीएलआर, एडीएलएओ और डीएलएओ बनने का प्रावधान रखा गया. लेकिन 15 साल बाद भी सिस्टम उस दिशा में आगे बढ़ नहीं सका. DCLR के पदों पर अभी भी बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी तैनात हैं, जिन पर जिला प्रशासन के कई अन्य कार्यों का दबाव रहता है. इसका असर जमीन संबंधी मामलों की सुनवाई और निपटारे पर सीधे पड़ रहा है.
हाईकोर्ट ने जून में ही सरकार को निर्देश दिया था कि DCLR पदों से प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को हटाया जाए. 28 नवंबर को कोर्ट ने शासन से पूछा कि राजस्व सेवा अधिकारियों की पोस्टिंग कब होगी. आज अवमानना याचिका पर फिर सुनवाई होनी है.
रैयतों से सीधे संवाद करेंगे डिप्टी CM
इसी पृष्ठभूमि में उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग मंत्री विजय कुमार सिन्हा आज पटना में महत्वपूर्ण बैठक और संवाद कार्यक्रम करने जा रहे हैं. जिले के सभी 26 अंचलों के सीओ, डीसीएलआर, एडीएम, डीएम और राजस्व कर्मचारी मौजूद रहेंगे. पहले रैयतों की जमीन से जुड़ी समस्याएं सुनी जाएंगी, फिर अधिकारियों के साथ समीक्षा होगी. यह संवाद कार्यक्रम पूरे राज्य में शुरू होने वाले भूमि सुधार जनकल्याण अभियान का पहला चरण है.
सरकार का उद्देश्य है कि जमीन मालिकों की समस्याओं को त्वरित गति से हल किया जाए और राजस्व तंत्र में फंसी जटिलताओं को दूर किया जाए.
1.98 लाख लंबित आवेदन-मार्च तक निपटाने की तैयारी
पटना जिले में 20 सितंबर 2025 तक राजस्व महाअभियान के दौरान 1082 शिविरों में लगभग 1.98 लाख आवेदन जमा हुए थे. इनमें उत्तराधिकार नामांतरण, बंटवारा, डिजिटाइज्ड जमाबंदी में त्रुटि सुधार और ऑनलाइन जमाबंदी जैसी मूलभूत जमीन से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं. इन सभी आवेदनों को 31 दिसंबर तक अपलोड कर लिया जाएगा, ताकि जनवरी से मार्च 2026 के बीच सभी मामलों का निपटारा किया जा सके.
DCLR कोर्ट में लंबित हजारों मामले
DCLR कोर्ट में म्यूटेशन अपीलें लगभग आधी लंबित हैं. बीएलडीआर विवाद 30 प्रतिशत मामलों में अटके पड़े हैं. परिमार्जन, डिजिटाइजेशन और सरकारी भूमि की जांच से जुड़े मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. विशेषज्ञ अफसरों की अनुपस्थिति से ये मामले वर्षों तक अटक जाते हैं.
बिहार की भूमि व्यवस्था सुधार की कोशिशें अब निर्णायक मोड़ पर दिख रही हैं. विशेषज्ञ अफसरों की पोस्टिंग, हाईकोर्ट के निर्देश और आज होने वाला संवाद कार्यक्रम जमीन विवादों के समाधान की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है. अगर सरकारी मशीनरी समय पर सक्रिय हुई, तो लंबे समय से अटके लाखों मामलों को नई गति मिल सकती है.

