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Bhagalpur News: मानसून से पहले वज्रपात का कहर, जानें क्या है कारण

Bhagalpur News आमतौर पर वज्रपात होने की सबसे अधिक संभावना ऊंचे इलाके जैसे पहाड़ या कोई ऊंचे पेड़ पर होती है. इसके साथ ही उन इलाकों में भी वज्रपात की संभावना होती है जहां पानी अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हो.

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गौतम वेदपाणि, भागलपुर

Bhagalpur News भागलपुर समेत पूर्व बिहार, कोसी, सीमांचल व संथाल परगना के विभिन्न जिले में मानसून के आने में अभी दो माह का समय शेष बचा है. बावजूद इन इलाकों में आंधी, तूफान, बारिश, ओलावृष्टि के साथ ठनका या आकाशीय बिजली गिरने की घटना में तेजी आयी है. आसमान में ठनका बनने के बाद यह न्यूट्राइज होने के लिए गुड कंडक्टर यानी बिजली के सुचालक को खोजती है.

इसके बाद ठनका खुले में रहने वाले किसानों व पशुपालकों समेत मवेशियों पर गिरता है. इसके अलावा ऊंचे पेड़, ऊंचे मकान व मोबाइल टावर को भी अपनी चपेट में ले लेता है. बीते नौ व 10 अप्रैल को ठनका गिरने से पूरे बिहार में 64 लोगों की जान चली गयी.टीएमबीयू के पीजी भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ एसएन पांडेय का कहना है कि गर्मी के कारण गंगा व कोसी में इन दिनों जलस्तर कम होने से दियारा निकल आये हैं.

वहीं, इन दियारे पर फैले बालू सूरज की किरणों को परावर्तित कर रही हैं. परावर्तित किरणें अपने साथ आसपास की नदियों व जमा पानी को भाप में तब्दील कर ऊपर पहुंचाता है. फिर ठंडी व नमी युक्त हवा से टकरा कर चार से 40 लाख वोल्ट तक की बिजली उत्पन्न करती है.

अप्रैल व मई में सबसे अधिक गिरता है ठनका

भूगोलविद डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि बीते 100 वर्षों के ट्रेंड पर नजर डालें तो हर साल अप्रैल व मई में काल बैसाखी का प्रभाव रहता है. इससे आंधी, तूफान व बारिश के साथ खूब ठनका गिरता है. इसका मुख्य कारण कोसी व गंगा बेसिन में फैला सफेद बालू है.

मगध क्षेत्र के सोन नदी बेसिन में भी यह स्थिति बनती है. बालू से सूरज की गर्म किरणें रिफ्लेक्ट होकर वातावरण को गर्म व नमीयुक्त बनाता है. बिहार का पूरे इस्ट व नॉर्थ जोन में आकाशीय बिजली के लिए ज्यादा गुड कंडक्टर मिलता है. बहुत सारी सदानीरा नदियां इसमें सहायक होती हैं.

बंगाल की खाड़ी में बना लो प्रेशर एरिया

इसका मुख्य कारण बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का बना क्षेत्र है. यहां से उठी नमी युक्त हवा भागलपुर व आसपास के जिलों में सक्रिय है. जिले में दक्षिण पूर्व दिशा से आ रही हवा के साथ भारी मात्रा में नमी आ रही है. नमी युक्त हवाएं यहां पहले से मौजूद गर्म हवाओं के साथ टकरा कर ठनका में तब्दील हो रहा है.

कहां होता है वज्रपात

आमतौर पर वज्रपात होने की सबसे अधिक संभावना ऊंचे इलाके जैसे पहाड़ या कोई ऊंचे पेड़ पर होती है. इसके साथ ही उन इलाकों में भी वज्रपात की संभावना होती है जहां पानी अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हो. पानी, बिजली के लिए एक कंडक्टर के रूप में काम करती है इसलिए पानी के श्रोत के आसपास वज्रपात होने का खतरा अधिक होता है.

सरकार देती है अनुदान

बिहार में वज्रपात या किसी भी प्राकृतिक आपदा से मृत्यु होने पर मरने वाले के आश्रितों को सरकार की तरफ से अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में चार लाख रुपये का भुगतान किया जाता है.

आकाशीय बिजली से बचने के उपाय

आकाशीय बिजली, ठनका या वज्रपात से बचाव के लिए किसी ऊंचे क्षेत्र या पेड़ के नीचे न जाएं, बिजली गिरने का सबसे अधिक खतरा वहीं होता है.

– अगर किसी खुले स्थान में हो तो वहां से किसी पक्के मकान में तुरंत चले जाएं और खिड़की एवं दरवाजों से दूर रहें

– घर में पानी का नल, फ्रिज, टेलीफोन आदि बिजली के उपकरणों से दूर रहें और उन्हें बंद कर दें

– बिजली के पोल और टेलीविजन या मोबाइल टावर से दूर रहें

– एक जगह पर समूह में खड़े न हों, कम से कम 15 फीट दूरी बनायें

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