संवाददाता, पटना 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार की पंचायतों को स्वास्थ्य क्षेत्र का अनुदान तीन वर्षों से अधर में लटका है. उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं सौंपने के कारण राज्य मद का हेल्थ ग्रांट की वर्ष 2021-22 से लेकर 2024-25 तक की राशि जारी नहीं की गयी है. इधर, पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार के पास राज्य की कोई राशि नहीं रुकेगी. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा सभी जिलों से उपयोगिता प्रमाणपत्र मंगाया जा रहा है. साथ ही इसके लिए केंद्र सरकार से पत्राचार भी किया जा रहा है. 15 वें वित्त आयोग के तहत ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र अनुदान (हेल्थ ग्रांट) की राशि की राशि की अनुशंसा की गयी है. इसमें वित्तीय वर्ष 2021-22 में 904 करोड़ की राशि मिली थी. इस साल केंद्र सरकार द्वारा बिहार को 821.8021 करोड़ रुपये की बिना कोई विशिष्ट शर्त वाले अनुदान की दूसरी किस्त मिली है और 47.9339 करोड़ रुपये की बिना कोई विशिष्ट शर्त वाले अनुदान की पहली किस्त का रोका हुआ हिस्सा मिला है. यह धनराशि सभी 38 जिला पंचायतों, 530 पात्र ब्लॉक पंचायतों और 8052 पात्र ग्राम पंचायतों के लिए है, जिन्होंने जारी किये गये अनुदान के लिए अनिवार्य शर्तों को पूरा किया है. इसके बावजूद हेल्थ ग्रांट की अभी तक करीब 1500 करोड़ की राशि नहीं मिली है. इस राशि से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य भवन निर्माण के साथ ही अस्पताल में जांच संबंधित आधारभूत संरचना की खरीद की जानी है.
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