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मां ने नवजात बच्ची को गड्ढे में छोड़ा…और भर गयी 27 साल से सूनी गोद

पटना / बक्सर : आखिर क्यों मां. आखिर क्यों. क्यों मुझे ऐसे तड़पने के लिए छोड़ दिया. क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा. मैंने तो नौ महीने तुम्हारे गर्भ में गुजारा. तुमने मुझे वहां से नहीं निकाला. तुमने संभालकर रखा. मैंने भी सपने बुने. मैं तुम्हारी ममता से गुदगुदाती गोद में सोने के सपने देखती रही. […]

पटना / बक्सर : आखिर क्यों मां. आखिर क्यों. क्यों मुझे ऐसे तड़पने के लिए छोड़ दिया. क्या बिगाड़ा था मैंने तुम्हारा. मैंने तो नौ महीने तुम्हारे गर्भ में गुजारा. तुमने मुझे वहां से नहीं निकाला. तुमने संभालकर रखा. मैंने भी सपने बुने. मैं तुम्हारी ममता से गुदगुदाती गोद में सोने के सपने देखती रही. मैं तुम्हारी छाती से चिपटकर अपने नवजात होने का एहसास करना चाहती थी. लेकिन, यह क्या मां, तुम मुझे छोड़कर चली गयी. मेरा क्या कसूर है मां. यह जरूर बताना. कहते हैं कि मां दुनिया को दिया भगवान का सबसे बड़ा तोहफा है. मां अपने बच्चों को हर मुसीबत से बचाती है. मां हर तकलीफ उठाती है, अपने बच्चों पर आंच नहीं आने देती. मैं तुम्हारी आभारी हूं मां, तुमने मुझे जन्म दिया, लेकिन एक बार अपने से दूर करने से पहले, गड्ढे में फेंकने से पहले, मेरी ओर देख तो लेती. शायद तुम्हारी ममता तुम्हें भी मासूम बना देती, मां. जी हां, बोरे में लिपटी यह नवजात यदि बोल पाती तो अपनी मां से कुछ ऐसा ही पूछती.

बक्सर में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना

एक दिन का मासूम बच्चा भला किसी का क्या बिगाड़ सकता है. वो तो मां की गोद भी ठीक से नहीं पहचान पाता, ऐसे में अगर उसे इस तपिश के मौसम में उसके मां-बाप ही कूड़े के ढेर में फेंककर चले जाएंतो, इसे क्या कहा कहेंगे. रोंगटे खड़े कर देने वाली यह घटना हुई है बक्सर में, जहां गड्ढे में पड़ी मिली मासूमनवजात बच्ची. जन्म के साथ ही अपनों ने नवजात को ठुकरा दिया. जन्म के तुरंत बाद नवजात बच्ची को जिले के रघुनाथपुर रेलवे स्टेशन के सटे तुलसी स्थान के समीप गढ्ढे में फेंक दिया गया. बच्ची के रोने की आवाज पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गयी. सोमवार की सुबह गढ्ढे से उठाकर बच्ची को इलाज के लिए रघुनाथपुर पीएचसी पहुंचाया गया.

कर दिया ममता की छांव से महरूम

बच्ची का पीएचसी में प्राथमिक उपचार के बाद डॉक्टर ने बताया कि उनका जन्म महज 15 घंटे पूर्व हुआ है. फिलहाल बच्ची को एक महिला के हवाले कर दिया गया. प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो लोकलाज के कारण कलियुगी मां ने अबोध बच्ची को ममता की छांव से महरूम कर दिया. जिस बच्ची को सीने से लगाकर दुलार करना था. उसे गड्ढे में फेंक दिया.

बच्ची को मिली एक दूसरी मां

अंधेरे का लाभ उठाकर ममतामयी मां ने बच्ची को मारने के लिए छोड़ दिया. लेकिन, संयोग ठीक था कि उसके रोने की आवाज सुन लोगों की भीड़ जमा हो गयी. भीड़ ने बच्ची को इलाज के लिए पीएचसी पहुंचाया. अपनी जननी के प्यार से वंचित मासूम केरोनेकी आवाज सुनकर रघुनाथपुर गांव के भैरवनाथ शर्मा की पत्नी रंभा देवी का कलेजा पसीज गया. उसने बच्ची को अपने सीने से लगा लिया. दंपती की वर्ष 1990 में शादी हुई थी, लेकिन अभी तक संतान का सुख नसीब नहीं हो सका था. महिला की ममता देख फिलहाल बच्ची को उसके हवाले किया गया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह बच्ची शायद उसी दंपत्ति की सुनी गोद को भरकर उसके आंगन की कली बनने आई है.

दो महीने में 185 नवजात शिशु और सात महीने में 55 प्रसूताओं की मौत

Prabhat Khabar Digital Desk
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