पटना : भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली में पत्रकारिता को चौथे स्तंभ का दर्जा दिया गया है, मगर बिहार में अपराधियों द्वारा पत्रकारों और मीडिया से जुड़े लोगों पर हमला कर इस चौथे स्तंभ को दरकाने की कोशिश की जा रही है. बिहार में बीते एक साल के दौरान होने वाली आपराधिक घटनाओं पर नजर दौड़ाएं, तो रविवार सुबह तक बेगूसराय में एक अखबार विक्रेता (हॉकर) की गोली मारकर की गयी हत्या समेत करीब एक दर्जन से अधिक हमले पत्रकारों और मीडिया से जुड़े चौथे स्तंभ के लोगों पर किया गया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, बेगूसराय जिले के नावकोठी थाना क्षेत्र के आरा मिल के पास रविवार सुबह अपराधियों ने एक अखबार हॉकर की गोली मारकर हत्या कर दी. जानकारी के अनुसार, नावकोठी थाना क्षेत्र निवासी सिकंदर सिंह सुबह साइकिल से अखबार बांटने जा रहे थे. उसी वक्त आरा मिल के निकट पहले से घात लगाये अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी. बताया जा रहा है कि बदमाशों ने उसके शरीर पर छह गोलियां मारी. इसके बाद उनकी मौत घटनास्थल पर ही मौत हो गयी. हालांकि, अभी तक हत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है. मामले की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय के सदर अस्पताल में भेज दिया है.
सासाराम में पत्रकार की हत्या
बेगूसराय में अखबार विक्रेता सिकंदर सिंह की हत्या के पहले शनिवार की सुबह सासाराम में अपराधियों ने एक दैनिक अखबार के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को सेरआम गोली मारकर हत्या कर दी. जिस समय उन पर अपराधियों द्वारा गोली बरसायी गयी, उस समय वे सुबह की सैर से लौटकर एक दुकान पर चाय पी रहे थे. हालांकि, इस मामले में पुलिस-प्रशासन और स्थानीय निवासी खनन माफियाओं का हाथ मानकर चल रहे हैं. इसके पीछे कारण यह है कि यहां के खनन माफिया इस वारदात के पहले पटना के वर्तमान एसएसपी मनु महाराज के अलावा कई पुलिस अधिकारियों और खनिज विभाग से जुड़े अधिकारियों पर हमला करके अपना निशाना साधा था.
राजदेव रंजन हाईप्रोफाइल हत्याकांड
यह बिहार के बेखौफ अपराधियों के बुलंद हौसले का ही नतीजा है कि उन लोगों ने इसी साल 13 मई, 2016 को हिंदुस्तान अखबार के सिवान ब्यूरोचीफ राजदेव रंजन का सरेशाम गोली मारकर हत्या कर दी. हालांकि, इस हत्याकांड में कई शूटरों और कुख्यात अपराधियों के नाम आये हैं. इस मामले की अभी सीबीआई जांच चल रही है.
स्थानीय पत्रकारों को भी बनाया निशाना
अपराधियों ने बड़े अखबारों के नामी पत्रकारों पर हमला करने के अलावा स्थानीय स्तर पर पत्रकारिता करने वाले लोगों को भी अपना निशाना बनाया है. इस साल 22 जनवरी को अपराधियों ने जहानाबाद के टेनीबिगहा गांव में एक न्यूज चैनल के जिला संवाददाता मुकेश कुमार पर जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें वे बुरी तरह से घायल हो गये. छह अप्रैल को कैमूर में एक न्यूज चैनल के पत्रकार देवव्रत तिवारी जब न्यूज कवर करके लौट रहे थे, तब अपराधियों ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया. इसमें वह बुरी तरह से घायल हो गये. 28 मई को पटना में एक दैनिक अखबार के पत्रकार राकेश सिंह की अपराधियों ने बुरी तरह से पिटाई कर अपहरण करने की कोशिश की. इसमें वे बुरी तरह से घायल हो गये थे. 24 अक्तूबर को गया में एक दैनिक अखबार में परैया प्रखंड के स्थानीय पत्रकार मिथिलेश पांडे को अपराधियों ने घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी थी.
पत्रकारों के परिजन भी नहीं हैं सुरक्षित
इससे बड़ी दुखद बात और क्या हो सकती है कि बिहार के बेखौफ अपराधी न केवल पत्रकारों पर हमला करके अपनी चपेट में ले रहे हैं, बल्कि उनके परिजनों पर भी निशाना साधने में कोताही नहीं बरत रहे हैं. इस साल पत्रकारों के परिजनों पर हुए हमले पर गौर करें, तो 23 मई को शेखपुरा जिले के बरबिगहा थाना क्षेत्र के पिंजड़ी गांव में एक प्रमुख हिंदी दैनिक के पत्रकार के पिता पर अपराधियों ने जानलेवा हमला कर दिया. इसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गये. वहीं, 23 सितंबर को अपराधियों ने पटना के दैनिक अखबार में फोटो पत्रकार रंजित डे के बेटे को अपराधियों ने गोलियों से छलनी कर दिया. कई दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद उसकी मौत हो गयी. पत्रकारों पर अपराधियों द्वारा किये जा रहे हमले यहीं तक नहीं थमा. उन लोगों ने कई अन्य पत्रकारों को भी अपने निशाने में लेकर हमले का शिकार बनाया.