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कबीर वाणी आज भी प्रासंगिक
पटना : बदलते परिवेश में संत कबीर के वाणी आज भी प्रासंगिक है. संत कबीर ने अपने समय में जिन चीजों का उल्लेख किया था आज उसका महत्व बढ़ गया है. ‘ हम वासी उस देश के जहां बारह मास विलास, प्रेम झरै बिकसे कंवल तेज पुंज परकास. हम वासी उस देस के जहवां नहिं […]
पटना : बदलते परिवेश में संत कबीर के वाणी आज भी प्रासंगिक है. संत कबीर ने अपने समय में जिन चीजों का उल्लेख किया था आज उसका महत्व बढ़ गया है. ‘ हम वासी उस देश के जहां बारह मास विलास, प्रेम झरै बिकसे कंवल तेज पुंज परकास.
हम वासी उस देस के जहवां नहिं मास बसंत, नीझर झरै महा अमी भीजत है सब संत. हम वासी उस देश के जहां जाति-वरन-कुल नाहिं, सब्द मिलावा होय रहा देह मिलावा नाहिं. हम वासी उस देश के जहां पारब्रह्म का खेल, दीपक जरै अगम्य का बिन बाती बिन तेल.’ राजभाषा विभाग द्वारा आयोजित संत कबीर जयंती समारोह में डॉ मेहता नगेंद्र सिंह ने संत कबीर के यह पद पढ़े.
उन्होंने कहा कि कबीर अवतारी पुरुष थे. उनकी वाणी गंगा जल के समान अमृत है. सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राजेंद्र सिंह ने कहा कि हम सभी कबीर हैं. वह तत्व सभी से जुड़ा हुआ है. उनके विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने पर ही उनकी जयंती समारोह सफल होगी. कबीर की वाणी औषधि के समान है. उसका सेवन करने से फल मिलेगा. अगर मनुष्य अपने को ठीक कर ले तो वही कबीर है.
राजभाषा विभाग के निदेशक सह अपर सचिव रामविलास पासवान ने संत कबीर पर भजन प्रस्तुत किया. ‘ शत-शत नमन संत कबीर तुम्हारा. ऐसी अमृतवाणी बोल-बाेल जनजीवन को सुधारा, शत-शत नमन संत कबीर तुम्हारा. ज्ञान की दीप जला कर दूर किये अंधकारा, शत-शत नमन संत कबीर तुम्हारा ‘.
पश्चिम चंपारण के संस्कृत कॉलेज हिंदी विभाग के प्रो़ श्री प्रकाशनाथ श्रीवास्तव ने कहा कि संत कबीर परिवर्तन व क्रांतिकारी थे. समारोह में जेडी वीमेंस कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ उषा सिंह, एसएस कॉलेज जहानाबाद के डॉ रमेश शर्मा, साहित्यकार हृदय नारायण झा,उर्मिला सिंह, राकेश प्रियदर्शी, मुख्तार पासवान सहित अन्य लोगों ने अपने विचार रखे.
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