बेमेल विवाह पर प्रश्न उठाता बेटी वियोग प्रेमचंद रंगशाला में हुआ आयोजनरंगशाला श्रृंखला ने किया प्रस्तुतलाइफ रिपोर्टर पटनाएक पिछड़े इलाके का गांव और गांव की निम्न आर्थिक और सामाजिक स्थिति और उसी गांव में जीवन यापन कर रहा किसान चटक और उसका व्यवहार. बेटी की शादी और बाद में उसकी आत्महत्या. कुछ ऐसा ही देखने को मिला नाटक बेटी वियोग में. भोजपुरी के शेक्सपीयर भिखारी ठाकुर ने खुद अपनी आंखों से देखने के बाद रचे बेटी वियोग का सृजन किया. जिसका शानदार मंचन प्रेमचंद रंगशाला में किया गया. रंगयात्रा श्रृंखला की तरफ से आयोजित इस नाटक में बिहार संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष आलोक धन्वा और उपाध्यक्ष प्रदीप्ता मुखर्जी उपस्थित थे. नाटक का निर्देशन रामदास राही थे.बेमेल विवाह पर करारा प्रहारनाटक का नायक किसान चटक गांव में अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता है. आर्थिक दृष्टि से कमजाेर चटक धूर्त और कैसे भी काम करने वाला है. वह गांव की सामाजिक व्यवस्था का भी आदर नहीं करता है. उसकी पत्नी भी एक नंबर की चालाक है. पति-पत्नी की संकीर्णता के कारण आये दिन गांव वालों से झगड़ा होते रहता है. इन सब के बाद भी उनकी बेटी अपने मां-बाप की सेवा में लगी रहती है. उम्र बढ़ने के साथ ही वह मां-बाप की सेवा करने के बाद घर की भी जिम्मेदारी अपने सिर पर उठा रखी है ताकि मां-बाप को आराम मिल सके. पैसे की लालच में मां-बाप अपनी बेटी की शादी बकलोलपुर के बूढ़े वर से कर देते है. इस बेमेल विवाह के बाद ऐसी घटनाएं घटती है कि बेटी आत्महत्या कर लेती है और बेमेल विवाह को लेकर सवाल छोड़ जाती है.
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बेमेल विवाह पर प्रश्न उठाता बेटी वियोग
बेमेल विवाह पर प्रश्न उठाता बेटी वियोग प्रेमचंद रंगशाला में हुआ आयोजनरंगशाला श्रृंखला ने किया प्रस्तुतलाइफ रिपोर्टर पटनाएक पिछड़े इलाके का गांव और गांव की निम्न आर्थिक और सामाजिक स्थिति और उसी गांव में जीवन यापन कर रहा किसान चटक और उसका व्यवहार. बेटी की शादी और बाद में उसकी आत्महत्या. कुछ ऐसा ही देखने […]
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