सिविल सर्जनों की सुस्ती से मरीजों की जेब पर बढ़ा बोझ
पटना : ग्रामीण इलाकों में मरीजों को सरकारी अस्पतालों से आधी से अधिक प्रकार की मिलने वाली मुफ्त दवाएं स्टॉक से गायब हैं. मरीजों के खून व अन्य प्रकार की जांच करने के लिए रि -एजेंट(एक प्रकार का केमिकल) नहीं है. सोमवार को इसकी मॉनिटरिंग में इसका खुलासा हुआ है. अधिकारियों की मानें, तो मुफ्त दवा देने का पारामीटर ही 34 जिलों में ध्वस्त हो चुका है.
ऑपरेशन से लेकर ड्रेसिंग तक के कार्य प्रभावित होने से इन्कार नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह है कि सिविल सर्जनों द्वारा जिले में स्थापित दवा स्टॉक की नियमित मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है. सरकार द्वारा 218 प्रकार की मुफ्त दवाओं के साथ सर्जिकल आइटम और जांच के रि-एजेंट उपलब्ध करा रही है. राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा सभी जिलों में उपलब्ध दवाओं की गहन समीक्षा कर सिविल सर्जनों को स्टॉक सुधारने और दवाओं की नियमित आपूर्ति बहाल रखने का निर्देश दिया गया है. राज्य के सभा दवा, रि-एजेंट और सर्जिकल आइटम की आपूर्ति बिहार चिकित्सा सेवाएं एवं आधारभूत संरचना निगम लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) द्वारा की जाती है.
सिविल सर्जनों की जिम्मेदारी है कि वह अपने जिले के अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग कर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करें. एनआरएचएम के तहत दवाओं की आपूर्ति की मॉनिटरिंग राज्य स्वास्थ्य समिति से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक डैशबोर्ड पर किया जाता है. सोमवार को जिलों की मॉनिटरिंग में पाया गया कि 34 जिलों में 50 प्रतिशत से लेकर 90 प्रतिशत तक दवाएं नदारद हैं.
इसे लेकर मॉनिटरिंग सेल के कान खड़े हो गये हैं. अब सभी जिलों को अपना स्टॉक की जांच करा कर अविलंब इसे ठीक कराने का निर्देश दिया गया है.
इन जिलों के दवा स्टॉक आधे से अधिक खाली हैं
अररिया 66 %
अरवल 63 %
औरंगाबाद 70%
बांका 66 %
बेगूसराय 59 %
भागलपुर 61%
भोजपुर 70%
बक्सर 58 %
पूर्वी चंपारण 70 %
गया 65 %
गोपालगंज 57 %
जमुई 69 %
जहानाबाद 37%
कैमूर 76 %
कटिहार 55 %
खगड़िया 61 %
किशनगंज 61 %
लखीसराय 86 %
मधेपुरा 60 %
मधुबनी 75 %
मुंगेर 65 %
मुजफ्फरपुर 84 %
नालंदा 72%
नवादा 54 %
पूर्णिया 64 %
रोहतास 77 %
सहरसा 63 %
समस्तीपुर 57 %
सारण 75 %
शेखपुरा 69%
शिवहर 80 %
सीतामढ़ी 69 %
सीवान 90%
सुपौल 80 %
वैशाली 67 %