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विधानमंडल का विशेष सत्र : 10 साल और आरक्षण के लिए विधानमंडल की मुहर

संसदीय कार्य मंत्री ने पेश किया प्रस्ताव, सर्वसम्मति से पारित पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण की समयसीमा दस साल बढ़ाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया. सोमवार को एक दिन के विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में […]

संसदीय कार्य मंत्री ने पेश किया प्रस्ताव, सर्वसम्मति से पारित
पटना : बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के लोगों को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण की समयसीमा दस साल बढ़ाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया. सोमवार को एक दिन के विशेष सत्र के दौरान दोनों सदनों में संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने इस आशय का प्रस्ताव पेश किया, जिस पर विचार- विमर्श के बाद पारित कर दिया गया.
विधानसभा में लोकसभा व विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए स्थानों के आरक्षण का विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.
इस विधेयक पर सदन के अंदर सभी दलों के नेताओं ने अपने विचार रखे. करीब एक घंटे तक चली चर्चा के बाद सदन ने संविधान के 126 वें संशोधन विधेयक 2019 को पारित कर दिया. सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित करने की घोषणा की.
कांग्रेस व माले ने भी किया समर्थन : कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि संविधान की धारा 334 में एंग्लो इंडियन को आरक्षण का प्रावधान किया गया था,उसे अब हटा दिया गया है. भाकपा माले के सत्यनारायण राम ने आरोप लगाया कि जब से केंद्र में भाजपा व एनडीए की सरकार बनी है तब से आरक्षण के गर्दन पर तलवार लटका हुआ है.
एससी व एसटी वर्ग के लोगों को आरक्षण की चिंता सता रही है. यह सरकार संविधान को ही खंड-खंड कर समाप्त कर रही है. अगर ऐसी बात नहीं है तो 10 प्रतिशत आर्थिक आधार पर आरक्षण कहां से आया. उन्होंने केरल की तर्ज पर बिहार में एनआरसी के खिलाफ सदन द्वारा प्रस्ताव पास करने की मांग की. लोजपा के नेता राजू तिवारी ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए विरोधी दल के नेता को अपनी चिंता करने की सलाह दी.
विधानसभा में सभी दलीय नेताओं ने रखे अपने विचार
आवश्यक हुआ तो सौ साल तक बढ़ाया जाये आरक्षण : मोदी
विधानसभा में लाये गये राजकीय संकल्प पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि लोकसभा और विधानसभाओं में आवश्यक हुआ तो सौ साल तक आरक्षण के प्रावधान को बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी प्रोन्नति में भी आरक्षण को लागू करने के पक्ष में है.
उन्होंने सदन को बताया कि प्रारंभ में एससी व एसटी के लिए 10 वर्षों का प्रावधान था. इसे बढ़ाकर 70 वर्षों के लिए किया गया. वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटों में एससी की 84 और एसटी की 47 सीटें आरक्षित हैं. राज्यसभा और विधान परिषद में आरक्षण का प्रावधान लागू नहीं है. पूरे देश की विधानसभाओं की कुल 4120 सीटें हैं. इनमें 1120 सीटें एससी व एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2011 की जनगणना में एससी वर्ग की आबादी 16.6 प्रतिशत व एसटी वर्ग की 8.4 प्रतिशत है.
राज्यसभा में आरक्षण का प्रावधान नहीं है. ऐसी स्थिति में राज्यसभा की 243 सीटों में एससी के 18 व एसटी वर्ग के आठ सदस्य ही चुने जा सके हैं. बिहार विधान परिषद की 75 सीटों में से एससी वर्ग के पांच सदस्य हैं, जबकि एसटी वर्ग का एक भी सदस्य नहीं है. आबादी के अनुसार राज्यसभा में एससी व एसटी की 50-55 सीटें, तो बिहार विधान परिषद में 11-13 सीटें होनी चाहिए. ऐसे में आरक्षण नहीं होगा तो इस वर्ग का एक भी व्यक्ति नहीं जीत कर आयेंगे.
जातीय जनगणना के लिए विशेष सत्र हो : तेजस्वी यादव
विधानसभा में विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव ने प्रस्ताव को समर्थन देते हुए सरकार से मांग की कि जातीय जनगणना के लिए सदन का विशेष सत्र बुलाया जाये. संभव हो तो इस सत्र काे एक दिन और बढ़ा दिया जाये. उन्होंने कहा कि लोकसभा व विधानसभाओं में आरक्षित वर्गों के लिए सीटों का प्रावधान 10 नहीं 20 वर्षों के लिए किया जाना चाहिए. सीएए , एनपीआर व एनआरसी को लेकर देश जल रहा है.
मुख्यमंत्री का इस मसले पर अभी तक कोई वक्तव्य नहीं आया है. प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के अलग-अलग बोल हैं. अब हम लोगों को बताना पड़ेगा कि नागरिक हैं या नहीं. कुछ लोगों पर राष्ट्रवादी नहीं होने का संदेह किया जा रहा है.
इस मुद्दे पर पवन कुमार वर्मा की बात या सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की बात मुख्यमंत्री मानेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उनको बताया करते थे कि आरएसएस का बड़ा खतरनाक खेल है. अब यह बात लोजपा नेता चिराग पासवान को बतायेंगे. मुख्यमंत्री भविष्य की पीढ़ी को ध्यान में रखकर निर्णय लें.
विधान परिषद में भी पारित हुआ एससी-एसटी आरक्षण विधेयक
पटना : विधान परिषद के विशेष सत्र में भी एससी-एसटी के सदस्यों को लोकसभा और विधानसभा में आरक्षण को लेकर आया प्रस्ताव पारित हो गया. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग के लोगों के विकास के आरक्षण का प्रावधान किया गया है, जो 25 जनवरी को समाप्त होगा.
इस आरक्षण अवधि को बढ़ाने के लिए इस संशोधन विधेयक को दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पारित किया गया है. बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति मो हारुण रशीद ने कहा कि सदन में 126 वां संशोधन विधेयक पारित किया गया है. उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम पायदान पर रहने वाले वंचित तबकों के विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़ेपन के मद्देनजर संसद
एवं राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि राज्य में जन-जीवन-हरियाली के माध्यम से अभियान चलाया जा रहा है ताकि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले पानी की कमी को दुरुस्त किया जा सके.
दिवंगत नेताओं को दी श्रद्धांजलि: बिहार विधान परिषद के 193 वें विशेष सत्र में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुनीलाल, लोकसभा के पूर्व सदस्य कमल सिंह, पूर्व मंत्री अजीत कुमार सिंह व बिहार विधानसभा के पूर्व सदस्य कौशलेंद्र प्रसाद शाही के निधन पर शोक संवेदना व्यक्त किया गया. सदस्यों ने शोक के दौरान एक मिनट का मौन रखा. वहीं, बिहार विधानसभा में सोमवार को इन जन नायकों के निधन पर शोक प्रकट किया गया. सदस्यों ने सदन में एक मिनट का मौन रखकर इन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी.

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