पटना : यूजीसी ने दीक्षांत समारोहों में एक बार फिर से परिधान को लेकर नया आदेश जारी किया है. यूनिवर्सिटियों में आयोजित होने वाले दीक्षांत समारोह में अब खादी व हथकरघा कपड़े का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है.
यूजीसी ने हथकरघा कपड़े और खादी के कपड़े उपयोग करने को लेकर सभी कुलपतियों को पत्र जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि खादी का उपयोग सिर्फ भारतीय होने का गौरव ही नहीं करायेगा, बल्कि गर्म अौर आर्द्र मौसम में भी आरामदायक होगा. साथ ही सूत कातनेवालों और बुनकरों को प्रोत्साहन मिलेगा.
गौरतलब है कि इससे पहले यूजीसी ने दीक्षांत समारोह में चलने वाले परंपारिक ड्रेस गाउन पहनने की प्रथा खत्म की थी. इसके बाद से देश के विभिन्न यूनिवर्सिटियों और अन्य शिक्षण संस्थानों में गाउन की जगह कुर्ता-पायजामा,साड़ी, सलवार-कमीज जैसे भारतीय परिधानों का इस्तेमाल हो रहा था.
अब इसके स्थान पर सभी शिक्षण संस्थानों को दीक्षांत समारोहों में सिर्फ खादी, स्वदेशी और हाथ से बुने कपड़ों का ही इस्तेमाल करने को कहा गया है. केवल दीक्षांत ही नहीं, यूजीसी ने संस्थानों से अन्य विशेष अवसरों पर भी इन्हीं कपड़ों का प्रयोग करने के लिए कहा है. यूनिवर्सिटियों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे अपने संबद्ध कॉलेजों में भी यही व्यवस्था लागू करें.
खादी व हथकरघे हमारी संस्कृति और विरासत के एक अभिन्न अंग हैं : यूजीसी सचिव रजनीश जैन ने कहा है कि पीएम ने खादी के उपयोग व हथकरघा के पुनरुद्धार को काफी महत्व दिया है.
महात्मा गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान हाथ से काते गये अौर हथकरघा कपड़े, खादी का उपयोग एक हथियार के रूप में किया था. इसलिए इसे स्वतंत्रता की वर्दी के रूप में भी जाना जाता है. सचिव ने कहा है कि खादी व हथकरघे का कपड़ा न केवल हमारी संस्कृति अौर विरासत का एक अभिन्न अंग है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लाखों लोगों को आजीविका का अवसर भी देता है.
लाल बॉर्डर में पीले रंग का होगा अंगवस्त्रम, हुआ था पिछले वर्ष पास
बिहार में 2018 संशोधित परिनियम में दीक्षांत परिधान में भी परिवर्तन किया गया था. इसमें प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एक समान दीक्षांत परिधान लागू करने को कहा था. 2018 से लाल बॉर्डर एवं अपने विश्वविद्यालय के लोगो के साथ पीले रंग का अंगवस्त्रम सबके लिए निर्धारित किया गया था.
यह अंगवस्त्रम सभी को परिधान के ऊपर पहनना है. मदन मोहन मालवीय द्वारा पहने जाने वाली पगड़ी को मान्य किया गया था. जैकेट में कोटिवार आंशिक परिवर्तन किया गया है. सभी जैकेट कालर व कशीदायुक्त रखने को कहा गया था.