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पटना : सभी विवि में नामांकन समाप्त, पर पीपीयू की धीमी गति अब भी जारी

पटना : राजधानी में जितने भी विश्वविद्यालय हैं, चाहे पटना विश्वविद्यालय हो या नालंदा खुला विश्वविद्यालय या मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय. सभी में नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गयी है. यहां तक कि इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में भी नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गयी है. पटना विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो […]

पटना : राजधानी में जितने भी विश्वविद्यालय हैं, चाहे पटना विश्वविद्यालय हो या नालंदा खुला विश्वविद्यालय या मौलाना मजहरूल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय.
सभी में नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गयी है. यहां तक कि इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में भी नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गयी है. पटना विश्वविद्यालय के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो (डीडीइ) में पीयू के नामांकन के बाद प्रक्रिया शुरू हुई थी, वह भी समाप्त हो गया, लेकिन पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में नामांकन प्रक्रिया कछुए की चाल रहा है. बार-बार तिथि बढ़ाये जाने से छात्र असमंजस में हैं. विवि के अधिकारियों को भी नहीं पता है कि यह प्रक्रिया कब तक पूरी हो जायेगी.
राजभवन के निर्देशों का भी असर नहीं : राजभवन के द्वारा लगातार सत्र और परीक्षाओं को समय पर करने का निर्देश जारी किया जा रहा है लेकिन इसका प्रभाव पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय प्रशासन पर नहीं पड़ रहा है.
नामांकन प्रक्रिया का भी यही हाल है. पांच राउंड नामांकन स्नातक में चलने के बाद भी कॉलेजों में सीटें खाली हैं. छात्र उक्त विषय में नामांकन से वंचित हैं और सीटें खाली होने के बाद भी इधर-उधर घूम रहे हैं. फिलहाल कोटे के तहत नामांकन प्रक्रिया चल रही है.
पीजी-वोकेशनल का भी हाल बुरा : पीजी का भी वहीं हाल है. वोकेशनल कोर्स में भी नामांकन की वही गति है. नामांकन से लेकर परीक्षा तक विवि हर मोर्चे पर फेल नजर आ रही है. अभी हाल में बि. लिस की परीक्षा जो 30 अगस्त से होने वाली थी, उसे 16 सितंबर से कर दिया गया. इसी तरह काफी मशक्कत और छात्रों के हंगामे के बाद वोकेशनल कोर्स की परीक्षाओं की तिथि जारी की गयी. पीजी की साल में दो परीक्षाएं होनी चाहिए थीं, अब तक एक ही हुई है. पीयू में तीसरा सेमेस्टर चल रहा है तो पीपीयू में दूसरे सेमेस्टर का अभी नामांकन चल रहा है.
परीक्षाएं काफी लेट चल रही हैं. ऐसे में पीजी करने में चार वर्ष लग जायेंगे. इस मामले में पीपीयू एमयू की राह पर ही चल रहा है. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि उक्त विवि को एमयू से अलग ही इसीलिए किया गया था कि यहां सबकुछ समय पर चल सके लेकिन यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है.

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