29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

पटना, मगध व मुंगेर प्रमंडल के जिलों में सूखे की आहट, बिगड़े हैं हालात

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : राज्य के पटना, मुंगेर, मगध प्रमंडलों के अधिकतर जिलों में सूखे की स्थिति आ गयी है. पटना प्रमंडल के बक्सर व कैमूर जिलों को छोड़ कर पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास में बारिश के अभाव के कारण फसल सूखने की स्थिति में है. इसके अलावा मगध प्रमंडल के गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद […]

अनिकेत त्रिवेदी, पटना : राज्य के पटना, मुंगेर, मगध प्रमंडलों के अधिकतर जिलों में सूखे की स्थिति आ गयी है. पटना प्रमंडल के बक्सर व कैमूर जिलों को छोड़ कर पटना, नालंदा, भोजपुर, रोहतास में बारिश के अभाव के कारण फसल सूखने की स्थिति में है. इसके अलावा मगध प्रमंडल के गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद व अरवल भी स्थिति बेहतर नहीं है.
वहीं मुंगेर प्रमंडल के जमुई, खगड़िया (कुछ भाग), मुंगेर, लखीसराय, बेगूसराय व शेखपुरा में पैदावार काफी प्रभावित होने की संभावना है. जानकारी के अनुसार सितंबर के अंत या अक्तूबर के पहले सप्ताह में राज्य के सूखे जिलों व प्रखंडों का ब्योरा कृषि विभाग की ओर से तैयार किया जायेगा. गौरतलब है कि बीते वित्तीय वर्ष में राज्य के 25 जिलों के 280 प्रखंडों को सूखा घोषित किया गया था.
अब तक 80 फीसदी रोपनी
जानकारी के अनुसार के 12 जिलों मसलन भोजपुर, रोहतास, भभुआ, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, किशनगंज, अररिया तथा कटिहार में 90% से ऊपर, नौ जिले बक्सर, अरवल, सारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, समस्तीपुर तथा पूर्णिया में 80-90% क्षेत्र में धान की रोपनी हुई है.
प्रदेश में पानी और सूखी जमीन की सेटेलाइट मैपिंग
पटना. प्रदेश में सूखी एवं गीली जमीन की सेटेलाइट मैपिंग की जा रही है. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने रिमोट सेंसिंग पर आधारित सर्वे शुरू कर दिया है. विभागीय विशेषज्ञ पानी में डूबी, स्थायी रूप से सूखी भूमि, नदियों, तालाबों, झीलों आदि की घटते कैचमेंट की मैपिंग करनी है. इसके अलावा उसके आंकड़े भी इकठ्ठे करने हैं.
दरअसल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को मॉनसून पूर्व एवं मॉनसून बाद की सेटेलाइट मैपिंग करनी है. प्रोद्योगकी विभाग ने मॉनसून पहले की मैपिंग कर ली है. इसमें जल संरचनाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं दिख रही है. हालांकि, इसका सटीक विश्लेषण सितंबर अंतिम हफ्ते में होने वाली मैपिंग से तय होगी कि प्रदेश में मॉनसून से जुड़ी प्राकृतिक आपदा से कितना प्रभावित है.
दरअसल, सरकार इस डाटा के आधार पर ही सूखा प्रबंधन की स्थायी रणनीति तय करेगी. वन विभाग ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से बारह विशेष जिलों की वाटर शेड और नम भूमि की नेचुरल बाउंड्री चाही है. इसी तरह ग्रामीण विकास विभाग, कृषि अन्य विभागों की ओर से भी अतिरिक्त जानकारियां मांगी गयी हैं. विभागीय वरिष्ठ वैज्ञानिक डा केपी सिंह ने बताया कि रिमोट सेंसिंग पर आधारित सेटेलाइट मैपिंग की जा रही है. निष्कर्ष आना बाकी है.
यहां रोपनी की भी स्थिति खराब
औरंगाबाद, सीवान, पश्चिमी चंपारण तथा दरभंगा सहित कुल 4 जिलों में 70-80 प्रतिशत तक रोपनी हो पायी है. 11 जिलों पटना, नालंदा, गया, जहानाबाद, वैशाली, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई, भागलपुर, शेखपुरा और बांका जिले में 50-70 प्रतिशत धान की रोपनी व नवादा तथा मुंगेर में 50 प्रतिशत से कम धान की रोपनी हो पायी है.
वैकल्पिक बीज का वितरण : जिन जिलों में सूखे की आशंका है, उन जिलों में धान के वैकल्पिक बीज मसलन, दलहनी व तिलहन के बीजों का वितरण जिला स्तर से किया जा रहा है. कृषि विभाग इसकी मॉनीटरिंग भी कर रहा है. इसके अलावा बेगूसराय में धान के बदले मक्का की खेती हो रही है. गौरतलब है कि जिन 13 जिलों में बाढ़ आयी थी, अब वहां पानी निकलने के बाद पैदावार की स्थिति बेहतर होने की संभावना है.
प्रदेश में घट रही पोखरों-तालाबों की संख्या
प्रदेश में तालाबों एवं पोखरों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. बिहार गजेटियर 1960 के मुताबिक आजादी के समय तक बिहार में सिर्फ तालाबों एवं पोखरों की संख्या सवा लाख से अधिक थी. यानी प्रति वर्ग किलोमीटर तीन तालाब थे. प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 94163 वर्ग किलोमीटर है. वर्ष 1012 में इसकी संख्या केवल 60 हजार रही गयी. इस तरह प्रदेश के प्रति वर्ग किलोमीटर में केवल 1.5 तालाबों की संख्या रह गयी है. इस साल अब तक के सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट में तालाबों की स्थिति की चिंताजनक बतायी जा रही है. उत्तरी बिहार में अब भी स्थिति संतोषजनक है, लेकिन दक्षिणी बिहार में तालाब केवल नाम मात्र के लिए बचे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें