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पटना : पीएम 29 को बाघों की संख्या करेंगे जारी
वीटीआर सहित 50 टाइगर रिजर्वों के बाघों की संख्या जारी होगी पटना : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों की नयी संख्या की जानकारी 29 जुलाई को मिल जायेगी. पीएम नरेंद्र मोदी नयी दिल्ली में आयोजित एक समारोह के दौरान वीटीआर सहित देश भर के करीब 50 टाइगर रिजर्वों में बाघों की संख्या जारी करेंगे. […]
वीटीआर सहित 50 टाइगर रिजर्वों के बाघों की संख्या जारी होगी
पटना : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में बाघों की नयी संख्या की जानकारी 29 जुलाई को मिल जायेगी. पीएम नरेंद्र मोदी नयी दिल्ली में आयोजित एक समारोह के दौरान वीटीआर सहित देश भर के करीब 50 टाइगर रिजर्वों में बाघों की संख्या जारी करेंगे.
इस समारोह में राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग सहित वीटीआर के अधिकारी मौजूद रहेंगे. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के निर्देश पर देश भर के टाइगर रिजर्व में देहरादून के वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूआईआई) की मदद से 2018 में बाघों की गिनती की गयी है. सूत्रों का कहना है कि वीटीआर में पांच शावकों को जोड़कर बाघों की कुल संख्या 37 हो गयी है.
बाघों की गिनती प्रत्येक चार वर्ष बाद की जाती है. लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस क्षेत्र में साल 2000-2001 की गणना में बाघों की संख्या 30 से अधिक थी. 2005-06 की गणना में यह घटकर 18 पर आ गयी थी. वहीं 2010 की गणना में महज आठ बाघ ही इस क्षेत्र में पाये गये. साल 2014 की गणना के बाद चौंकाने वाले परिणाम सामने आये. बाघों की संख्या आठ से बढ़कर 28 हो गयी.
कैसे की गयी बाघों की गिनती
वीटीआर में बाघों की गिनती के लिए करीब 500 कैमरे लगाये गये थे. इसमें कैमरा ट्रैप के अलावा एम-स्ट्राइप नाम के मोबाइल एप्लीकेशन का इस्तेमाल किया गया था. मोबाइल एप एम-स्ट्राइप को संचालित करने के लिए वन अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया था. इसमें राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण के अधिकारी भी शामिल थे. एम-स्ट्राइप नाम के मोबाइल एप्लीकेशन में कर्मचारियों के मोबाइल में एप डाउनलोड किया जाता है.
यह मोबाइल एप जीपीएस की तरह काम करता है. बाघों के दिखायी देने पर मोबाइल एप से उनकी फोटो खींची जाती है. इससे अपने-आप उसमें बाघों की संख्या दर्ज हो जाती है. पूरे दिन जंगल में गश्त करने के बाद मोबाइल एप के डाटा को टाइगर सेल में सुरक्षित रखा जाता है. इसके बाद आंकड़ों को एनटीसीए के पास भेज दिया जाता है.
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