आनंद तिवारी, पटना : पटना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचार कराने आ रहे मरीजों को इन दिनों इलाज से अधिक परेशानी दवाओं को लेकर हो रही है, क्योंकि परिसर में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं. इधर, अस्पताल प्रशासन ने परिसर में संचालित दोनों प्राइवेट दवा दुकानों को बंद कर दिया है. बंद हुईं दोनों दवा दुकानों पर 20 से 30% सस्ती दरों पर दवाएं मिलती थीं.
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एम्स की दोनों दवा दुकानें बंद, अमृत में 70% दवाएं नहीं
आनंद तिवारी, पटना : पटना अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उपचार कराने आ रहे मरीजों को इन दिनों इलाज से अधिक परेशानी दवाओं को लेकर हो रही है, क्योंकि परिसर में मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही हैं. इधर, अस्पताल प्रशासन ने परिसर में संचालित दोनों प्राइवेट दवा दुकानों को बंद कर दिया है. बंद […]
हालांकि एम्स प्रशासन की ओर से संचालित अमृत फॉर्मा और एक सरकारी दवा दुकान है, लेकिन यहां भी दवाओं का अभाव है. डॉक्टरों की लगातार मांग के बाद भी ज्यादा इस्तेमाल होने वाली 53 दवाएं जो जरूरत की हैं, उनके लिए भी मरीजों को भटकना पड़ रहा है. एक दिन में करीब 5000 मरीजों को दवाओं की जरूरत पड़ती है.
लो डोज की दवा ही उपलब्ध है
एम्स की डॉक्टरों की मानें तो जेनेरिक दुकान में सबसे लो डोज की दवा है. अगर किसी मरीज को दिन में दो-तीन बार 50 एमजी की टैबलेट लेनी है तो दवा दुकान में 25 एमजी में उपलब्ध है. मरीज को दो टैबलेट खानी पड़ती हैं, तब डोज पूरा होता है. इसी प्रकार कई बीमारियों में कंबीनेशन ड्रग्स यूज होते हैं. इनमें प्रिसिक्पशन पर एक दो दवा लिखने से काम चल जाता है. मरीज को लगता है कि काफी कम दवा दी है, लेकिन यहां पर कंबीनेशन ड्रग्स नहीं होने से मरीज को कई दवाएं लेनी होती हैं.
दोनों ही दुकानें विवादों में थीं. कई बार बंद करने के आदेश आ चुके हैं. रही बात अमृत दवा दुकान में कम दवा की, तो यह परेशानी भी खत्म हो जायेगी. एम्स प्रशासन खुद सरकारी दवा दुकान खोलने जा रहा है. ऑपरेशन वाले मरीजों को पैकेज सिस्टम के अनुसार इलाज किया जायेगा.
डॉ पीके सिंह, निदेशक, पटना एम्स
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