पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि चुनाव आयोग सहित अन्य संवैधानिक संस्थाओं की गरीमा को गिराना और उसके कामकाज में हस्तक्षेप करना कांग्रेस की आदत रही है. 1989 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मनोनुकूल काम नहीं करने से उत्पन्न मतभेद के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए तो 1993 में टी एन शेषन से मतभेद के बाद पी वी नरसिंहा राव ने एक सदस्यीय चुनाव आयोग को तीन सदस्यीय बनाया था.
सुशील मोदी ने कहा कि राजीव गांधी द्वारा चुनाव आयोग को त्रिसदस्यीय बनाने के निर्णय को वीपी सिंह की सरकार ने पलट कर फिर से एक सदस्यीय कर दिया था. मगर 1993 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन से विवाद के बाद कांग्रेस की नरसिंहा राव की सरकार ने आयोग के कार्यकलाप में हस्तक्षेप करते हुए उसे फिर से तीन सदस्यों में परिवर्तित कर दिया.
डिप्टी सीएम ने कहा, चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वानुमति नहीं होने की स्थिति में बहुमत के आधार पर निर्णय लेने की नियमावली कांग्रेस के कार्यकाल में ही बनायी गयी थी. अगर वर्तमान चुनाव आयोग में किसी मुद्दे पर सर्वसम्मति नहीं है तो यह आयोग का आंतरिक मामला है और इसमें वर्तमान केंद्र सरकार की कोई भूमिका व हस्तक्षेप नहीं है.