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2015 तक का जन्म प्रमाणपत्र है, तभी खेल पायेंगे बिहार से क्रिकेट

आमोद सिंह, पटना : फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर राज्यस्तरीय और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) द्वारा आयोजित मैच खेलनेवाले क्रिकेटरों के लिए बुरी खबर है. बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) पिछले अनुभवों से सीखते हुए कड़े निर्णय लिये हैं. जिसका पालन राज्यस्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंटों से ही शुरू है. बिहार से अब क्रिकेट खेलने के लिए […]

आमोद सिंह, पटना : फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर राज्यस्तरीय और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) द्वारा आयोजित मैच खेलनेवाले क्रिकेटरों के लिए बुरी खबर है. बिहार क्रिकेट संघ (बीसीए) पिछले अनुभवों से सीखते हुए कड़े निर्णय लिये हैं. जिसका पालन राज्यस्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंटों से ही शुरू है. बिहार से अब क्रिकेट खेलने के लिए सभी खिलाड़ियों के पास 2015 तक का बना हुआ जन्म प्रमाण पत्र होना चाहिए. उसके बाद के वर्षों में बना हुआ जन्म प्रमाण पत्र मान्य नहीं होगा.

पिछले वर्ष बीसीसीआइ ने इसी मामले को लेकर पुडुचेरी सहित कई राज्यों के क्रिकेटरों पर कार्रवाई की थी. इन खिलाड़ियों ने उसी साल की बनी हुई जन्म प्रमाणपत्र बोर्ड को भेजी थी. हालांकि बीसीए द्वारा लिया गया यह निर्णय कितना सफल होगा? यह आनेवाले दिनों में पता चलेगा. फिलहाल इस नियम के अनुसार ही जिला संघ अपने टीमों में खिलाड़ियों का चयन कर रहे हैं.
जिला संघों की बड़ी जिम्मेदारी : बीसीए सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह ने बताया कि इस तरह के फर्जीवाड़े जिला संघों के यहां पहले आते हैं. क्योंकि वहीं से खिलाड़ियों का चयन राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय टूर्नामेंटों के लिए किया जाता है. इसलिए उनलोगों को दिशा निर्देश दिया गया है कि वह पूरी तरह से सभी खिलाड़ियों के जन्म प्रमाणपत्र और संबंधित दस्तावेज से आश्वस्त होने के बाद ही टीम में चयन करें.
अगर उनका जन्म प्रमाण पत्र 2015 के बाद का बना हो, तो उसपर कोई विचार न करें. फिर भी अगर आप वैसे खिलाड़ियों का चयन करते हैं, तो आपको बीसीए को एक शपथ पत्र देना होगा.
जांच के लिए बीसीए बनायेगी कमेटी
फर्जी दस्तावेजों को जांचने के लिए बीसीए एक कमेटी बनायेगी. जो अपनी क्षमता के अनुसार जन्म प्रमाणपत्र और स्कूल के प्रमाणपत्रों को दोबारा जांच करेगी. रनिबंधित स्कूलों से बनाये गये प्रमाणपत्रों को बीसीए द्वारा मान्य नहीं होगा. सचिव ने कहा कि बीसीसीआइ के निर्देश पर यह किया जा रहा है, जो पिछले साल हुआ है. वह दोहराया न जाये इसके लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है.
पिछले वर्ष बीसीसीआइ ने बिहार के पुनित मल्लिक, सुमित कुमार, यश ठकराल, शहाबुद्दीन और मनोज मेहता के अलावा महिला क्रिकेटरों पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र देने का आरोप लगाते हुए दो वर्षों के लिए सस्पेंड किया था. हालांकि पुनित मल्लिक को दोबारा खेलने का मौका दिया गया था.

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