पटना : बिहार कोटे की पीजी सीटों पर पटना एम्स के छात्रों को दाखिला की अनुमति देने से नाराज पीएमसीएच, एनएमसीएच व आइजीआइएमएस समेत राज्य के तमाम मेडिकल काॅलेज अस्पतालों के जूनियर डाॅक्टर सोमवार से हड़ताल पर चले गये. इससे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में न केवल ओपीडी बाधित हुआ, बल्कि इमरजेंसी सेवा पर भी बुरा असर पड़ा. पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण लगभग आधा (14) छोटे-बड़े ऑपरेशन टाल दिये गये.
वार्डों में भरती मरीजों को देखने जूनियर तो दूर सीनियर डॉक्टर भी नहीं पहुंचे. डॉक्टरों की गैर मौजूदगी के कारण दूरदराज से पहुंचे कई मरीज लौट गये. एनएमसीएच में करीब एक दर्जन ऑपरेशन और आइजीआइएमएस में 20% सर्जरी नहीं हो सकी. एनएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने करीब तीन घंटे ओपीडी सेवाओं को बाधित रखा.
आइजीआइएमएस में भी गेट बंद कर ओपीडी बंद करने का प्रयास किया गया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने थोड़ी देर बाद बलपूर्वक व्यवस्था बहाल कर ली. अपनी मांगों के समर्थन में जूनियर डॉक्टरों ने कॉलेजों में प्रदर्शन करने के साथ ही नारेबाजी भी की. दरभंगा मेडिकल कालेज अस्पताल और मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में भी हड़ताल की वजह से मरीजों को लोट जाना पड़ा.
डीएमसीएच में सुबह से ही हड़ताली डाक्टरों ने ओपीडी में ताला जड़ दिया. एसकेएमसीएच में दोपहर बाद हड़ताल का असर दिखा. बेतिया के सरकारी मेडिकल काॅलेज अस्पताल में भी जूनियर डाॅक्टरों ने कामकाज बाधित किया. यहीं हाल गया के एएनएमएमसीएच का रहा. इधर, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने हड़ताली जूनियर डाॅक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है.
पीएमसीएच में करीब 25 अतिरिक्त डॉक्टरों को लगा कर इमरजेंसी व्यवस्था चालू रखने का प्रयास किया गया. उपाधीक्षक डॉ आरके जमैय्यार ने खुद आठ घंटे बैठकर इमरजेंसी की व्यवस्था देखी. एनएमसीएच में एक कार्यक्रम में पहुंचे स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार का जूनियर डॉक्टरों ने घेराव भी किया.
इस दौरान प्रधान सचिव ने साफ कहा कि हड़ताल अनुचित है. चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू होने की वजह से इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता. अधीक्षक व प्राचार्य अपने स्तर पर जूनियर डॉक्टरों से बातचीत करें.
पीएमसीएच, एनएमसीएच, आइजीआइएमएस, डीएमसीएच, एसकेएमसीएच, एएनएमएमसीएच व बेतिया में दिखा व्यापक असर
राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पीजी में एम्स पटना के छात्रों का नामांकन न हो
जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि पटना एम्स से पास करनेवाले डॉक्टरों के राज्य के मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट में नामांकन पर रोक लगायी जाये. उनका यह भी कहना है कि यह सुविधा राज्य के छात्रों को पटना एम्स में नामांकन के लिए नहीं है.
प्रधान सचिव बोले, पीजी सीटें रह जाती हैं खाली जूनियर डॉक्टरों की मांग में कोई तर्क नहीं