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देश में सर्वाधिक विकास दर वाला राज्य बना बिहार, 2017-18 में विकास दर 11 प्रतिशत के पार

पटना : बिहार एक बार फिर देश का सर्वाधिक विकास दर वाला राज्य बन गया है. बिहार ने 2007-08 से लगातार रेवेन्यू सरप्लस (राजस्व अधिशेष) वाले राज्य का दर्जा बरकरार रखा है. 2017-18 में राज्य की विकास दर 11.3 प्रतिशत रही, यह देश में सबसे अधिक है. 2016-17 के दौरान विकास दर 9.9 प्रतिशत रहा […]

पटना : बिहार एक बार फिर देश का सर्वाधिक विकास दर वाला राज्य बन गया है. बिहार ने 2007-08 से लगातार रेवेन्यू सरप्लस (राजस्व अधिशेष) वाले राज्य का दर्जा बरकरार रखा है. 2017-18 में राज्य की विकास दर 11.3 प्रतिशत रही, यह देश में सबसे अधिक है. 2016-17 के दौरान विकास दर 9.9 प्रतिशत रहा था. विकास दर में बढ़ोतरी बेहतर वित्तीय प्रबंधन का सूचक है. बजट सत्र के पहले दिन विधानमंडल के दोनों सदनों में उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने 2018-19 की आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश की.

सुशील मोदी ने बताया कि 2017-18 के दौरान बिहार की विकास दर 11.3 प्रतिशत आंकी गयी, जो देश में सर्वाधिक है. इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय विकास दर सात प्रतिशत रही है. जबकि पिछले वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान राज्य की विकास दर 9.9 प्रतिशत रही थी. इसका मतलब हुआ कि राज्य की सभी स्रोतों से हुई कुल आमदनी में कैपिटल (पूंजीगत) व्यय या खर्चों को काटने के बाद ही काफी रुपये बच जाते हैं, जिनका उपयोग मूलभूत संरचनाओं के विकास में किया जा रहा है. राज्यपाल के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री ने इस सदन पटल पर रखा.

प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के मुताबिक राज्य में प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी है. 2017-18 के दौरान प्रति व्यक्ति आय 31 हजार 316 रुपये रही है. जबकि, पिछले वित्तीय वर्ष में यह आय 28 हजार 580 रही है. इसमें करीब 11 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गयी है. राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ोतरी होने की वजह से प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हुई है. राज्य ने बेहतर वित्तीय प्रबंधन का परिचय देते हुए अपने राजकोषीय घाटा को एफआरबीएम एक्ट के तीन प्रतिशत के मानक के अंदर रखा है. वर्तमान में यह 2.9 प्रतिशत है.

सदन के बाहर विधान परिषद में आयोजित प्रेस वार्ता में वित्त मंत्री ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में दो नये क्षेत्र कौशल विकास और बाल विकास को भी शामिल किया गया है. 2013-14 के दौरान राज्य का रेवेन्यू सरप्लस छह हजार 441 करोड़ था, जिसमें 2017-18 के दौरान दोगुना से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गयी और इसके 21 हजार 312 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है. इसके अलावा राज्य का सकल घरेलू उत्पाद 2017-18 के दौरान चार लाख 87 हजार 628 करोड़ रहा है, जो 2016-17 के दौरान चार लाख 25 हजार 888 से 61 हजार 740 करोड़ ज्यादा है.

राज्य में सबसे ज्यादा विकास दर तृतीयक (टर्सियरी) क्षेत्र में 14.6 प्रतिशत दर्ज की गयी है. इस क्षेत्र में नौकरी, रोजगार समेत अन्य क्षेत्र मुख्य रूप से आते हैं. सबसे कम करीब एक प्रतिशत की ग्रोथ रेट प्राइमरी सेक्टर यानी कृषि और इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों में दर्ज की गयी है. हालांकि राज्य में कृषि आधारित उद्योगों में सबसे ज्यादा 19.20 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गयी है, जो राष्ट्रीय ग्रोथ रेट (3.6 प्रतिशत) से पांच गुणा अधिक है.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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