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पटना : सांसद-विधायकों के खिलाफ एडीजे-3 करेंगे केस की सुनवाई
शशिभूषण कुंवर पटना हाइकोर्ट की सहमति. संसदीय कार्य विभाग ने जारी की अधिसूचना पटना : आपराधिक मामले में फंसे सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए राज्य सरकार ने हर जिले में विशेष न्यायाधीश को अधिकृत कर दिया है. हर जिले के अपर एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय के कोर्ट को इसकी जिम्मेदारी दी […]
शशिभूषण कुंवर
पटना हाइकोर्ट की सहमति. संसदीय कार्य विभाग ने जारी की अधिसूचना
पटना : आपराधिक मामले में फंसे सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए राज्य सरकार ने हर जिले में विशेष न्यायाधीश को अधिकृत कर दिया है. हर जिले के अपर एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय के कोर्ट को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है. पटना हाइकोर्ट की सहमति के बाद संसदीय कार्य विभाग ने शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी कर दी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने सांसदों व विधायकों (वर्तमान और पूर्व) के आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए हर जिले में विशेष अदालतों का गठन कर दिया था. राज्य सरकार ने अब सांसदों और विधायकों के आपराधिक मामलों की विशेष कोर्ट में सुनवाई के लिए न्यायधीशों को भी नामित कर दिया है.
अधिसूचना के अनुसार हर जिले के अपर एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय के कोर्ट को एवं मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय आपराधिक मामलों के सुनवाई के लिए हर जिले के वरीयतम अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट को विशेष न्यायालय के रूप में अधिकृत किया गया है. इस कोर्ट की अधिकारिता संबंधित जिले की स्थानीय सीमाएं होंगी.
संसदीय कार्य विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ एवं
अन्य मामले में चार दिसंबर, 2018 को पारित आदेश के अनुपालन में बिहार सरकार ने पटना हाईकोर्ट के परामर्श से इस संबंध में विधि विभाग की अधिसूचना संख्या 2574 दिनांक 14 मार्च 2018 में बदलाव करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय को सुनवाई का अधिकार दिया गया है.
बिहार में आधे से अधिक
विधायक-सांसद पर आपराधिक केस
मामला विधायक सांसद
आपराधिक केस 142 28
(58%) (70%)
गंभीर आपराधिक केस 98 20
(40%) (50%)
एडीजे-3 के नहीं रहने पर एडीजे-2 करेंगे सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
राजनीति के अपराधीकरण की समस्या पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह का आदेश चार दिसंबर 2018 को दिया था. सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में 2,324 सांसदों और विधायकों के खिलाफ अदालतों में आपराधिक मामले लंबित पाये गये थे.
यह बताया गया कि पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के मामले इसमें शामिल किया जाये तो इसकी संख्या 4,122 होगी. सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों व विधायकों के अपराधों के रिपोर्ट को रिकाॅर्ड पर लेते हुए बिहार और केरल के उच्च न्यायालयों को पूर्व और वर्तमान सांसदों विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मुकदमे जल्द निबटाने के उपाय करने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने दोनों राज्यों के उच्च न्यायालयों से कहा है कि ऐसे मामलों के जल्द निबटारे के लिए जितने जरूरत हों, उतनी सत्र व मजिस्ट्रेट अदालतों को ऐसे केसों की सुनवाई सौंपी जाये.
अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि यदि किसी जिले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय उपलब्ध नहीं हों तो अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय का न्यायालय, अपर जिला एवं न्यायाधीश द्वितीय भी उपलब्ध नहीं हों तो अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम का न्यायालय को विशेष अदालत में मामले की सुनवाई के लिए अधिकृत किया जाता है.
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