पटना : मौसम का मिजाज भांपने वाले लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान की धमकी के बाद भाजपा बैकफुट पर आ गयी. माना जा रहा है जून, 2019 में पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह की असम से खाली हो रही राज्यसभा की सीट पासवान काे दी जायेगी.
लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद असम से राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं. एक सीट डाॅ मनमोहन सिंह की भी है. इसके लिए अगले साल अप्रैल में ही चुनाव कराये जाने की संभावना है.
माना जा रहा है इसी सीट से रामविलास पासवान को राज्यसभा भेजा जायेगा. इसके पहले 2009 की लोकसभा चुनाव हारने के बाद राजद ने उन्हें अपने कोटे से राज्यसभा भेजा था. इसके बाद 2014 में लोजपा एनडीए के साथ हो गयी और पासवान ने हाजीपुर से जीत हासिल की. ऐसी संभावना है कि पासवान की पारंपरिक सीट हाजीपुर से उनके छोटे भाई और लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को उम्मीदवार बनाया जा सकता है.
राज्य की तीन आरक्षित सीटें लोजपा के पास ही हैं. इनमें जमुई से चिराग पासवान, समस्तीपुर से रामविलास पासवान के सबसे छोटे भाई रामचंद्र पासवान सांसद हैं. लोजपा मुंगेर, वैशाली और खगड़िया की सीट पर भी काबिज है. इनमें पासवान के करीबी सूरजभान की पत्नी वीणा देवी के लिए बेगूसराय या नवादा की सीट दिये जाने की तैयारी है.
नवादा से फिलहाल भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह सांसद हैं. बेगूसराय के भाजपा सांसद भोला सिंह के निधन से खाली है. वैेशाली की सीट से सांसद रामा सिंह के लोजपा से नाराजगी की चर्चा है. वैशाली की सीट लोजपा के पास रह सकती है. जबकि, खगड़िया की जगह राज्य की एक अन्य सीट लोजपा को मिल सकती है.
2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा को सात सीटें मिली थीं. इनमें हाजीपुर, जमुई, समस्तीपुर, वैशाली, नालंदा, मुंगेर और खगड़िया की सीटें थीं. लोजपा ने छह सीटें जीतीं और नालंदा की सीटें मामुली वोटों से हार गयी. यहां जदयू के कौशलेंद्र कुमार की जीत हुई. लोजपा ने नालंदा की सीट पर अपना दावा छोड़ दिया है. पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान ने स्वयं कई बार इसकी चर्चा कर चुके हैं.
