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पटना : तोड़ा जाने लगा अंजुमन इस्लामिया हॉल
133 साल पुरानी यह इमारत राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रही पटना : पटना शहर के पुराने और सबसे ऊंचे ऑडिटोरयम के नाम से मशहूर अंजुमन इस्लामिया हॉल को तोड़ने का काम रविवार से शुरू हो गया. 133 साल पुराने इस भवन के स्थान पर अब बहुमंजिली इमारत बनेगी. जानकारों की माने तो ऊंची छत वाला […]
133 साल पुरानी यह इमारत राजनीतिक-सामाजिक बदलावों का गवाह रही
पटना : पटना शहर के पुराने और सबसे ऊंचे ऑडिटोरयम के नाम से मशहूर अंजुमन इस्लामिया हॉल को तोड़ने का काम रविवार से शुरू हो गया. 133 साल पुराने इस भवन के स्थान पर अब बहुमंजिली इमारत बनेगी.
जानकारों की माने तो ऊंची छत वाला अंजुमन इस्लाममिया हॉल शायद पटना का पहला सार्वजनिक हॉल है. यह 1885 में अपनी स्थापना के समय से कई वख्यिात हस्तियों की मेजबानी कर चुका है और कई अहम बैठकों का चश्मदीद रहा है. बिहार राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड के अनुसार अंजुमन इस्लामिया की नयी सात मंजिली इमारत खड़ी करने के लिए पुनर्विकास योजना के तहत इसे तोड़ा जा रहा है.
19 दिसंबर के बाद की बुकिंग कर दी गयी रद्द : बोर्ड के अध्यक्ष मोहम्मद इरशादुल्लाह ने कहा कि हमने हाल ही में एक नोटिस जारी किया था कि 19 दिसंबर इस हॉल में किसी शादी पार्टी की मेजबानी का आखिरी दिन होगा और उस तारीख के बाद की सभी अन्य बुकिंग रद्द कर दी गयीं. पुरानी इमारत को तोड़ने का काम अब शुरू हो गया है. उन्होंने बताया कि नयी इमारत के 2020 की पहली छमाही में बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है. यह बोर्ड अंजुमन इस्लामिया का मालिक है.
2020 में बन कर तैयार हो जायेगा नया हाॅल
शुरुआत के पहले दिन मजदूर दो मंजिले पुराने भवन के ऊपरी हिस्से को तोड़े. इससे इमारत की जमीन पर ईंटे बिखरी हुई थीं. जानकारों की माने तो इस भवन का हिंदी, ऊर्दू और अंग्रेजी में नाम है जो अंजुमन-ए-इस्लामिया सोसायटी के सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है. इसी सोसायटी ने इसकी स्थापना की थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में कहा था कि नया हॉल 2020 में ईद में उद्घाटन के लिए बनकर तैयार हो जायेगा. नये भवन को पूरी तरह से आधुनिक बनाया जायेगा.
नये हॉल का संचालन भी वर्तमान पद्धति के अनुसार ही होगा
यह स्वागत योग्य कदम है कि अब नया भवन बन रहा है. मगर मेरी समझ से यह है कि अंजुम इस्लामिया हाल को रिनोवेट कर दिया जाता. लेकिन जो 2020 में नया भवन बन कर तैयार होगा, उसका संचालन भी वर्तमान पद्धति के अनुसार ही होगा. ताकि गरीब-अमीर हर तबके के लोग आकर अपना फंक्शन आदि कर सके. साथ ही असामाजिक तबके के लोग जो उठते-बैठते थे, उसको भी खत्म किया जाये.
—असफर अहमद, 40 नंबर वार्ड पार्षद.
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