32.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

#TeachersDay : रिटायर्ड होने के बाद भी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दे रहे दिव्यांग रामनरेश

अजय कुमार मसौढ़ी : हालात व परिस्थितियों से मजबूर होकर बहुत से अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं. ऐसे में गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने की जिम्मेदारी धनरूआ के तेतरीचक गांव के रिटायर्ड दिव्यांग शिक्षक रामनरेश सिंह ने उठा रखी […]

अजय कुमार
मसौढ़ी : हालात व परिस्थितियों से मजबूर होकर बहुत से अभिभावक चाह कर भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पाते हैं. ऐसे में गरीब बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने की जिम्मेदारी धनरूआ के तेतरीचक गांव के रिटायर्ड दिव्यांग शिक्षक रामनरेश सिंह ने उठा रखी है.
वह 2013 से लगातार गांव के असर्मथवान बच्चों को शिक्षा नि:शुल्क दे रहे हैं. इनके द्वारा शिक्षित करीब दो दर्जन से अधिक छात्र आज विभिन्न सरकारी सेवाओं में हैं. रामनरेश सिंह ने 2013 में प्राथमिक होने के बाद गरीब व असहाय बच्चों को अपने घर पर ही बुलाकर पढ़ाना शुरू किया. उनकी सोच को लोगों ने उसी वक्त सराहा और इनका कारवां बढ़ता गया.
आज तेतरीचक गांव समेत आसपास के 60 से 80 लड़के रोज सुबह इनके पास आ जाते हैं और वे सभी को बैठा अनुशासन के साथ पढ़ाते हैं. ये बच्चे नर्सरी से चौथी कक्षा के हैं. देखने से गुरुकुल की याद ताजा हो जाती है. इन बच्चों को पढ़ाने के बाद वे अपने गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रतिदिन जाना नहीं भूलते हैं. वहां जाकर वे विद्यालय के भी छात्रों को बीच एक-दो घंटे समय देकर उन्हें और उक्त विद्यालय के शिक्षकों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं. इनके दो बेटे व दो बेटियां अौर दामाद भी सरकारी विद्यालयों में शिक्षक हैं.
रामनरेश सिंह ने कहा कि गुरु-शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति का अहम और पवित्र हिस्सा है. लेकिन वर्तमान परिवेश में कई ऐसे शिक्षक हैं, जो लालची स्वभाव के कारण इस परंपरा पर आघात कर रहे हैं. शिक्षा जिसे अब व्यापार समझकर बेचा जाने लगा है. एेसे में मेरे द्वारा बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देना कितने लोगों को खटकता है. लेकिन इसकी परवाह किये बिना बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर मै अपने को गौरवान्वित महसूस करता हूं.
चूंकि शुरू से मैं शिक्षक रहा हूं और गरीबी में पला-बढ़ा हूं, इसलिए गरीब बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने में आने वाली कठिनाइयों को बहुत नजदीक से समझता हूं. दिव्यांगता आड़े नहीं आती तो आसपास खुद जाकर वैसे बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने से बाज नहीं आता. शिक्षक रामनरेश सिंह द्वारा शिक्षित कई छात्र आज विभिन्न जगहों पर सरकारी सेवा में कार्यरत हैं.
तेतरीचक के पास स्थित सूर्यगढ़ा के रहने वाले दिलीप कुमार जमशेदपुर में टिस्को में इंजीनियर हैं. तेतरीचक गांव के ही मनोज पंडित नालंदा के थरथरी प्रखंड में प्रोग्राम अफसर हैं, जबकि विकास कुमार मुंबई में रेलवे में टेक्नीशियन हैं और शैलेश कुमार जबलपुर में लोको पायलट हैं.
You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें