पटना : बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर बुधवार को सुनवाई होगी. सुनवाई को लेकर नियोजित शिक्षकों को शीर्ष अदालत से आस है कि शिक्षक दिवस पर उन्हें तोहफा मिलेगा. मालूम हो कि बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों की समान काम-समान वेतन की मांग पर राज्य सरकार अपना पक्ष रख चुकी है. अब शिक्षक संगठनों के अधिवक्ता नियोजित शिक्षकों की पैरवी कर रहे हैं. वहीं, केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल भी अपना पक्ष रखेंगे.
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है. राज्य सरकार सूबे के नियोजित शिक्षकों को 20 फीसदी की वेतन वृद्धि देने की सहमति जतायी है. जबकि, शिक्षक संघ की वकील ने दलील पेश करते हुए कहा है कि जो शिक्षक टीईटी या एसटीईटी पास हैं, उन्हें तो हर हाल में वेतनमान मिलना ही चाहिए. ऐसे शिक्षकों को वेतनमान देने में सरकार को किसी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए. शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद एसटीईटी और टीईटी पास शिक्षकों की बहाली की गयी थी. ऐसे में इन्हें समान काम के लिए समान वेतन देना हर हाल में अनिवार्य है. जहां तक बिना टीईटी या एसटीईटी पास शिक्षकों का सवाल है, तो इन्हें भी समान काम के बदले समान वेतन का लाभ मिलना चाहिए. बशर्ते इन्हें इसके एरियर का लाभ देने से पहले टीईटी या एसटीईटी की परीक्षा से गुजरना अनिवार्य कर दिया जाये.
बिहार माध्ममिक शिक्षक संघ ने पांच सितंबर को शिक्षक दिवस का बहिष्कार करने का फैसला किया है. माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट से शिक्षकों को उम्मीद है कि उन्हें उचित सम्मान मिलेगा. लेकिन, सरकार उन्हें सम्मान देने के बजाय उनका विरोध कर रही है. पांच सितंबर का दिन शिक्षकों के लिए सम्मान का होता है. ऐसे में केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल उसी दिन शिक्षकों के विरोध में केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे. ऐसे में शिक्षक दिवस मनाने का कोई मतलब नहीं है.