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पटना : प्रोजेक्ट विलंब कर ग्राहकों को ठगने वाले बिल्डरों पर अब गिरेगी गाज

ग्राहकों के आवेदनों पर दर्ज शिकायत की सुनवाई का दौर शुरू अगले पंद्रह दिनों में डेढ़ दर्जन मामलों की होगी सुनवाई पटना : ग्राहकों से पैसा लेने के बावजूद समय पर प्रोजेक्ट डिलेवर नहीं करने वाले बिल्डरों पर अब गाज गिरेगी. ग्राहकों से मिले आवेदनों के आधार पर रेरा में दर्ज केस मामलों की सुनवाई […]

ग्राहकों के आवेदनों पर दर्ज शिकायत की सुनवाई का दौर शुरू
अगले पंद्रह दिनों में डेढ़ दर्जन मामलों की होगी सुनवाई
पटना : ग्राहकों से पैसा लेने के बावजूद समय पर प्रोजेक्ट डिलेवर नहीं करने वाले बिल्डरों पर अब गाज गिरेगी. ग्राहकों से मिले आवेदनों के आधार पर रेरा में दर्ज केस मामलों की सुनवाई शुरू हो गयी है. रेरा अध्यक्ष अफजल अमानुल्लाह अगले पंद्रह दिनों में ऐसे डेढ़ दर्जन मामलों की सुनवाई करेंगे, जिनमें कई मामलों में निर्णय आने की भी उम्मीद है.
मंगलवार को दो मामलों की सुनवाई : मंगलवार को दो मामलों की सुनवाई से इसकी शुरुआत हो गयी. इसमें पहला मामला चंचल मीणा द्वारा एक बिल्डर पर दर्ज कराया गया था, जबकि दूसरे मामले में पटना ग्रीन हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड के पटना ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट की सुनवाई की गयी. पटना ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट मामले में बिल्डर भूषण कुमार सिंह ने रेरा को अपने बैंक अकाउंट संबंधित सूचना ही गलत दी थी.
दो बिल्डरों के पांच-पांच प्रोजेक्टों की शिकायत
सुनवाई में कई ऐसे बिल्डर भी शामिल हैं, जिनके एक से अधिक प्रोजेक्टों की शिकायत दर्ज करायी गयी है. अगले हफ्ते ऐसे दो बिल्डरों के पांच-पांच प्रोजेक्टों से संबंधित मामलों की सुनवाई होगी. यह प्रोजेक्ट पटना, खगौल, बेगूसराय, गया व पटना आसपास इलाके में चल रहे हैं.
इससे संबंधित आवेदकों ने पैसा दिये जाने के बावजूद समय पर फ्लैट डिलेवर नहीं करने का मामला दर्ज करा रखा है. इसके साथ ही बिहटा में प्रोजेक्ट चला रहे एक बिल्डर की भी सुनवाई प्रस्तावित है.
ई-मेल से लेकर हार्ड कॉपी में आयीं शिकायतें
रेरा के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति के बाद पिछले पांच महीने में लगभग डेढ़ हजार से अधिक लोगों ने अलग-अलग माध्यमों से आवेदन कर शिकायत दर्ज करायी है. इनमें कई ग्राहकों ने ई-मेल कर, जबकि कई ने हार्ड कॉपी में पूरे सबूत के साथ बिल्डरों का काला चिट्ठा रेरा को सौंपा है. उनके आवेदनों के आधार पर ही मामला दर्ज कर इसकी सुनवाई शुरू की गयी है.
इनमें कई ऐसे बिल्डर भी हैं, जिनको वर्ष 2014-15 में ही फ्लैट हैंडओवर कर देना था, लेकिन तीन साल बाद भी उनका प्रोजेक्ट अब तक अधूरा है. ऐसे बिल्डरों पर जुर्माना लगाने के साथ ही आईपीसी की धाराओं में भी कार्रवाई संभावित है.

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