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पटना : सरकारी स्कूलों में बेंच और डेस्क की कमी अब भी बरकरार

पटना : राज्य सरकार अपने पूरे बजट की 20 से 25 फीसदी राशि शिक्षा पर खर्च करती है. चालू वित्तीय वर्ष में भी शिक्षा बजट 32 हजार 125 करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का करीब 20 फीसदी है. साथ ही हर तरह से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए साइकिल-पोशाक, मध्याह्न भोजन समेत […]

पटना : राज्य सरकार अपने पूरे बजट की 20 से 25 फीसदी राशि शिक्षा पर खर्च करती है. चालू वित्तीय वर्ष में भी शिक्षा बजट 32 हजार 125 करोड़ रुपये है, जो कुल बजट का करीब 20 फीसदी है.
साथ ही हर तरह से शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए साइकिल-पोशाक, मध्याह्न भोजन समेत अन्य कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलायी जा रही हैं. फिर भी स्कूलों में बेंच-डेस्क जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव दिखता है.
हाल में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में निरीक्षण के दौरान यह तथ्य सामने आया. इसके अलावा यह भी देखने को मिला कि साइकिल खरीद में भी काफी छात्र की रुचि नहीं है. साइकिल के रुपये उन्हें मिलने के बाद भी बड़ी संख्या में छात्रों ने साइकिल नहीं खरीदी है.
9 अगस्त को प्राथमिक और 16 अगस्त को माध्यमिक स्कूलों का निरीक्षण किया गया था. इस दौरान स्कूलों में खासकर माध्यमिक स्कूलों में बेंच-डेस्क की स्थिति काफी खराब पायी गयी. राज्य के सभी जिलों में 130 माध्यमिक स्कूलों का निरीक्षण किया गया, जिसमें महज 26 स्कूल में ही बेंच-डेस्क समेत अन्य सामान पाये गये. उसमें भी कुछ स्कूलों में मौजूद बेंच-डेस्क की संख्या काफी कम थी या टूटी-फूटी स्थिति में थी. बड़ी संख्या में प्राथमिक स्कूलों में तो बेंच-डेस्क समेत अन्य सामान गायब ही थे. अधिकांश स्कूलों में तो बच्चे जमीन पर ही बैठ कर पढ़ाई करते पाये गये थे.
ग्रामीण इलाकों में स्थिति खराब
माध्यमिक स्कूलों में बेंच-डेस्क समेत अन्य उपस्कर की स्थिति काफी खराब दिखी. अधिकांश हाईस्कूलों में तो लैब है ही नहीं या लैब के नाम पर कमरे मौजूद हैं.
कुछ स्कूलों में लैब हैं भी, तो उनमें किसी तरह के उपस्कर या अन्य जरूरी संसाधन मौजूद ही नहीं थे. उच्च क्लास में भी छात्र बिना बेंच-डेस्क और लैब के ही पढ़ाई कर रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में मौजूद हाईस्कूलों की स्थिति ज्यादा खराब पायी गयी है. सीवान, सुपौल, वैशाली, पश्चिम चंपारण, नवादा, मधुबनी, कटिहार, कैमूर, गया, औरंगाबाद, बेगूसराय समेत अन्य जिलों में जितने भी माध्यमिक स्कूलों का निरीक्षण किया गया, उनमें किसी में बेंच-डेस्क समेत अन्य सामान और लैब उपकरण नदारत ही पाये गये.
माध्यमिक स्कूलों के निरीक्षण के दौरान एक दूसरा चौकाने वाला तथ्य सामने आया. साइकिल के रुपये तो सभी छात्रों को मिल गये हैं, लेकिन 20 फीसदी स्कूल के छात्र बिना साइकिल के ही पाये गये. यानी इन छात्रों के पास साइकिल नहीं थी. राज्य के जिन 130 माध्यमिक स्कूलों का औचक निरीक्षण किया गया, उसमें 27 स्कूल यानी 20 फीसदी के आसपास छात्रों ने साइकिल नहीं खरीदी थी. साइकिल के रुपये सभी छात्रों को मिलने के बाद भी इन्होंने अभी तक साइकिल नहीं खरीदी थी.
पिछले साल जिन छात्रों को साइकिल के रुपये मिले, उन्होंने भी साइकिल नहीं खरीदी है. इसका स्पष्ट कारण तो छात्रों से नहीं पता चल पाया, लेकिन विभागीय स्तर पर मंथन शुरू हो गया है. गौरतलब है कि इस बार से साइकिल की राशि में 500 रुपये की बढ़ोतरी करते हुए तीन हजार रुपये कर दी गयी है.

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