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पटना : कंपनी व पीएमसीएच की खींचतान से खतरे में हीमोफीलिया के मरीज

पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. अगर दवा कंपनी और बीएमआईसीएल का आपसी टकराव नहीं थमा, तो समस्या और अधिक खड़ी हो सकती है. पीएमसीएच में हीमोफीलिया की सप्लाई करनेवाली दवा कंपनी ने कम बजट का हवाला देकर दवाओं की सप्लाई करने से हाथ […]

पटना : पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हीमोफीलिया के मरीजों की जान खतरे में पड़ सकती है. अगर दवा कंपनी और बीएमआईसीएल का आपसी टकराव नहीं थमा, तो समस्या और अधिक खड़ी हो सकती है. पीएमसीएच में हीमोफीलिया की सप्लाई करनेवाली दवा कंपनी ने कम बजट का हवाला देकर दवाओं की सप्लाई करने से हाथ खड़ा कर दिया हैं. कंपनी की मानें, तो दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की तुलना में पीएमसीएच में कम रेट लगाये गये हैं, नतीजा दवाओं की सप्लाई में दिक्कत आ रही है. इस मामले में पीएमसीएच प्रशासन ने कंपनी को फटकार लगाते हुए दवा आपूर्ति की बात कही है.
रेट को लेकर तकरार: अस्पताल प्रशासन की मानें, तो दवा कंपनी ने कहा है कि एक फाइल की कीमत पीएमसीएच में 1900 रुपये दी जा रही है. जबकि दरभंगा, मुजफ्फरपुर आदि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 2300 से 2500 रुपये तक भुगतान किया जा रहा है. इधर बीएमआईसीएल के अधिकारियों की मानें, तो टेंडर से पहले ही कंपनी से करार हो गया था. इतना ही नहीं पीएमसीएच में मरीज अधिक आते हैं और दवाओं की मांग भी अधिक है. ऐसे में कंपनी का तर्क सही नहीं है. इसको देखते हुए रेट तय किया गया है.
हर माह पीएमसीएच में आते हैं 50 मरीज
पीएमसीएच में हर महीने 50 से अधिक मरीज ऐसे आते हैं जिनको हीमोफीलिया फैक्टर आठ दवा की जरूरत होती है. यहां पटना के अलावा दूसरे जिलों से भी मरीज आते हैं. डॉक्टरों की मानें, तो यह बीमारी प्राय: लड़कों में पायी जाती है. हालांकि, लड़कियों में यह बीमारी नहीं के बराबर होती है. हीमोफीलिया के दो प्रकार होते हैं. ए और बी. ए प्रकार की हीमोफीलिया 5000 लोगों में से एक व्यक्ति में पायी जाती है. जबकि, बी प्रकार की हीमोफीलिया एक लाख लोगों में से एक में पायी जाती है.
एक वायल दवा की कीमत तीन हजार
हीमोफीलिया के मरीजों के शरीर में कहीं भी कट जाये तो खून लगातार बहने लगता है, रुकता ही नहीं. दवा लेनी पड़ती है. जोड़ों में दर्द रहता है. चोट लगने पर स्थिति गंभीर हो जाती है. इसके लिए ढाई सौ यूनिट यानी एक वायल दवा (फैक्टर आठ या नौ) की कीमत तीन हजार रुपये हैं. एक बार में तीन-चार वायल चढ़ाने की नौबत आती है. यह चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है.

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