पटना : ग्रामीण सड़कों के रखरखाव ( मेंटनेंस) नीति 15 अगस्त तक तैयार हो जाने की संभावना है. ग्रामीण कार्य विभाग अनुरक्षण नीति 2018 तैयार कर रहा है. विभाग अब तक अपनी सड़कों का रखरखाव अनुरक्षण नीति 2013 के आधार पर कर रहा था. इस नीति में क्लास एक और दो की सड़कों का ही रखरखाव होता था. पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष ग्रामीण कार्य विभाग ने अपनी सड़कों की देखभाल को लेकर प्रस्तुतिकरण दिया था.
इसी में मुख्यमंत्री ने सड़कों की देखरेख के लिए मेंटनेंस पॉलिसी बनाने का निर्देश दिया था.
ग्रामीण कार्य विभाग के पास 1.29 लाख किलोमीटर सड़क है. इसमें से 73 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण विभिन्न योजनाओं के माध्यम से हो चुका है. राज्य के लगभग 74 हजार बसावटों को सड़कों से जोड़ दिया गया है. अगले दो साल के भीतर राज्य सरकार की योजना है कि सभी चिह्नित ग्रामीण सड़कों का निर्माण हो जाये. इससे न केवल 250 या अधिक आबादी वाले राज्य की सभी बसावटों को कम से कम एक पक्की सड़क मिल जायेगी बल्कि विशेष तौर पर चिह्नित किये गये सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के 4647 टोलों में भी पक्की सड़क पहुंच जायेगी. सूबे में ग्रामीण सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है. जल्द ही राज्य में पीएमजीएसवाई दो का भी काम शुरू होगा. इसमें महत्वपूर्ण ग्रामीण सड़कों को चौड़ा करना है. ग्रामीण सड़कों की मरम्मत एवं उसका समुचित रखरखाव भी एक बड़ी समस्या है. राज्य की करीब 9500 ग्रामीण सड़कें जिनकी लंबाई करीब 35 हजार किलोमीटर है, उनके निर्माण के बाद पांच साल तक रखरखाव की अवधि पूरी हो चुकी है.
हर साल 35 हजार किमी सड़क के रखरखाव की जरूरत
ग्रामीण कार्य विभाग ने मुख्यमंत्री के यहां जो प्रस्तुतीकरण दिया था उसमें बताया गया था कि अभी राज्य में लगभग 35 हजार किलोमीटर की लंबाई में सड़कों की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत है. अगले वर्ष से प्रतिवर्ष लगभग पांच हजार किलोमीटर की लंबाई में सड़कों की की मरम्मत एवं रखरखाव की जरूरत होगी. विभाग की सभी सड़कों की मरम्मत एवं रखरखाव की अनिवार्य नीति बने तो जाये तो राज्य सरकार को लगभग ढाई से तीन हजार 3000 करोड़ की जरूरत होगी.