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खास बातचीत में बोले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी- हम जीतेंगे अगला चुनाव, विपक्ष होगा जीरो पर आउट

केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर अब चुनावी वर्ष की ओर है. इस दौरान बिहार में जदयू महागठबंधन से निकल कर एनडीए में शामिल हो गया और भाजपा की भूमिका विपक्ष से बदल कर सत्तापक्ष की हो गयी. केंद्र और राज्य में समान गठबंधन सरकार के कार्यों के चुनावी प्रभावों […]

केंद्र की मोदी सरकार अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर अब चुनावी वर्ष की ओर है. इस दौरान बिहार में जदयू महागठबंधन से निकल कर एनडीए में शामिल हो गया और भाजपा की भूमिका विपक्ष से बदल कर सत्तापक्ष की हो गयी. केंद्र और राज्य में समान गठबंधन सरकार के कार्यों के चुनावी प्रभावों पर बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी से हमारे विशेष संवाददाता मिथिलेश की बातचीत़

Q लोकसभा चुनाव में साल भर से भी कम समय रह गया है. इस बार एनडीए के लिए क्या संभावनाएं आप देखते हैं?
बिहार की सबसे बड़ी उपलब्धि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किये जा रहे काम हैं. बिहार में ऐसी सरकार है, जो केंद्र सरकार के साथ मिल कर राज्य को आगे बढ़ा रही है. हम बिहार और केंद्र दोनों जगह सत्ता में हैं. लोकसभा चुनाव में हमें दोनों सरकारों के काम का लाभ मिलेगा. इसे लेकर हम जनता के बीच जायेंगे. पहले जनता को पता नहीं चल पाता था कि किस काम को केंद्र सरकार ने किया है और किसे राज्य की सरकार ने. अब जनता में कोई भ्रम नहीं है. उसे दोनों सरकार की ओर से किये जा रहे विकास कार्यों का लाभ मिल रहा है. इसका लाभ एनडीए को मिलेगा. एनडीए बेहतर स्थिति में है और 2019 के लोकसभा चुनाव में बेहतर ही रहेगा. हम चुनाव जीत कर आयेंगे. विरोधियों के खाते में कुछ भी नहीं है. वे जीरो पर आउट होंगे. राज्य के स्तर पर हो या केंद्र के स्तर पर. राजद और कांग्रेस के लिए दिखाने को कुछ भी नहीं है़. वे क्या बतायेंगे़? बिहार में जो कुछ भी काम हुआ, वह नीतीश कुमार और एनडीए सरकार के समय में हुआ. राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो अपनी विकास की छवि बनायी है, उसके मुकाबले राजद और कांग्रेस कहीं नहीं टिक पायेंगे. विरोधियों की छवि का लाभ भी एनडीए को मिलेगा. चुनाव सालभर बाद हो या छह-आठ महीने के बाद, एनडीए को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला. एनडीए का काम बोलेगा और बोल रहा है.
Q बिहार एनडीए के नेता नीतीश कुमार होंगे?
बिहार में एनडीए के दो-दो चेहरे हैं. पहला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और दूसरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का. इसमें कहीं कोई शक नहीं है. हमें दोनों चेहरे का लाभ मिलेगा.
Q एनडीए में जदयू का आगमन हुआ है. अधिक सीटें भी वह मांग रहा है. ऐसे में भाजपा कितना कंफर्ट (सहज) फील कर रही?
बिहार में एनडीए पूरी तरह मजबूत है. मजबूत गठबंधन है हमारा. राज्य की कुल आबादी के सत्तर प्रतिशत पर एनडीए का प्रभाव है. यह मुकाबला 70 बनाम 30 फीसदी के बीच होगा. एनडीए काफी आगे है. सामाजिक समीकरण एनडीए के साथ है. जदयू ने बडी मांग की है, यह अखबारों में छपा है. इस संबंध में जदयू की ओर से हमारे पास कोई मांग नहीं पहुंची है. लिखित में कोई ऐसा मामला है ही नहीं. हम अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देने वाले. जदयू की ओर से जो भी कुछ कहा गया, राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते नीतीश कुमार ने उसे साफ कर दिया है. देखिए, एनडीए के बीच सीटों की कोई समस्या नहीं होगी. हम सभी बैठेंगे तो रास्ता निकल आयेगा. सभी घटक दल बैठेंगे, सभी विंदुओं पर चर्चा होगी और हम एकजुट होकर चुनाव में जायेंगे. नरेंद्र मोदी ने इतना काम किया है, जितना आज तक किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया. एक साथ इतनी उपलब्धियां एनडीए के खाते में हैं कि हम गर्व से सीना तान कर चुनाव में जायेंगे और जनता का भरपूर सहयोग एनडीए को मिलेगा.
Q विपक्ष एनडीए की देशभर में घेराबंदी कर रहा. बिहार में भी राजद और कांग्रेस के बीच तालमेल की संभावना है. भाजपा के लिए कितनी चुनौती है, खासकर बिहार में?
बिहार में विपक्ष कमजोर हुआ है. विघटन उधर हुआ. नीतीश कुमार के महागंठबधन छोड़ कर इधर आ जाने से महागठबंधन क्षत-विक्षत हो गया. जदयू महागठबंधन का प्रमुख घटक दल था. वह हट गया. अब कोई चुनौती नहीं रह गयी है. 2015 के विधानसभा चुनाव में जिनके चेहरे पर महागठबंधन को वोट मिले, वहीं इधर आ गये. अब एनडीए के पास बिहार में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार दो चेहरे हैं. विपक्ष कमजोर हुआ और एनडीए मजबूत हुआ है. बिहार में विपक्ष मरा हुआ है. राष्ट्रीय स्तर पर भी विपक्ष कमजोर है और बिहार में देखा जाये, तो यह कहीं है ही नहीं. एनडीए में कोई विभाजन नहीं हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के चले जाने जाने से भी एनडीए पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
Q सीटों का बंटवारा सीटिंग-गेटिंग के फार्मूले पर होगा या इस बार पैमाना बदलेगा?
जहां तक सीटिंग-गेटिंग के फार्मूले की बात है, तो इसमें अभी बहुत समय है. यह केवल बिहार का मामला नहीं है. समय आयेगा, तो वह भी सुलझ जायेगा.
Q शराबबंदी का कितना और कैसा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा?
शराबबंदी का चुनाव में व्यापक असर पड़ेगा. लोग सरकार के इस फैसले से खुश हैं. विधानसभा में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की थी, तो भाजपा की ओर से मैंने पूर्ण शराबबंदी का सुझाव दिया था. चार दिन बाद ही सरकार ने कैबिनेट की बैठक कर राज्य में पूर्ण शराबबंदी का फैसला लिया. सही मायने में बिहार को इस फैसले से बड़ा लाभ हुआ है. लोग इस फैसले से इतने खुश हैं कि अब सरकार इसे चाह कर भी शिथिल नहीं कर सकती़. चुनाव में हमें इसका पूरा लाभ मिलेगा. शराबबंदी से घरेलू हिंसा में कमी आयी है. महिलाओं को नया जीवन मिला है. हम देखते हैं कि कई राज्यों में शराब संस्कृति बन गयी है. बाप और बेटा एक साथ शराब पी रहे होते हैं. बिहार में सही समय पर पूर्ण शराबबंदी लागू की गयी. यदि इसमें देरी होती, तो बिहार भी उसी शराब संस्कृति में ढलने लग गया होता. बिहार में आज भी शराब को अच्छी निगाहों से नहीं देखा जाता़. बिहार के हित में शराबबंदी है और लोगबाग इससे खुश हैं.
Q उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए छोडने की चर्चा सुर्खियों में है. आपको क्या लगता है़?
इस पर मुझे कुछ नहीं बोलना, नो कमेंट़
Q जदयू ने कहा है कि वह लोकसभा की सभी सीटों पर अपनी तैयारी कर रहा. क्या भाजपा भी ऐसा कर रही?
यह अच्छी बात है. भाजपा भी सभी सीटों पर अपने संगठन को मजबूत कर रही है. सभी पार्टियां सभी सीटों पर तैयारी करेंगी. अपने संगठन को मजबूत करेंगी. तभी घटक दलों का इसका लाभ मिल पायेगा. सीटों के बंटवारे में कौन सीट किस दल को मिलेगी, यह अभी तय नहीं है. इसलिए सभी दलों का दायित्व बनता है कि वह सभी सीटों पर अपने को सुदृढ करें.
Q भाजपा के अपने कोटे की सीटों पर उम्मीदवार चयन का पैमाना क्या होगा? उम्र और लोकप्रियता की कसौटी पर परख होगी?
अभी इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है. इस पर अभी कुछ नहीं बोलना है. यह पार्टी की केंद्रीय कमेटी का मामला है. केंद्र ही इसे तय करेगा़
Q दलित मुद्दों पर भाजपा से इस वर्ग की नाराजगी बढ़ी है. इस नाराजगी से भाजपा को कितना नुकसान मानते है?
केंद्र की भाजपा सरकार ने दलित वर्ग के हित में जितना काम किया है, उतना किसी भी सरकार ने नहीं किया. कुछ लोगों ने भ्रम फैलाया है. दलित वर्गों की निराशा दूर होगी. उन्हें गलतफहमी हो गयी थी. दलितों के हित से जुड़े कानूनों को और कठोर बनाया जा रहा है. उन तबकों को भी इसमें जोड़ा गया है, जो इसमें शामिल नहीं थे. क्षतिपूर्ति की जा रही है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. अगर फैसला उनके हक में नहीं आया, तो केंद्र सरकार अध्यादेश लायेगी. प्रमोशन में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया है. यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. फैसले के पहले सर्वोच्च अदालत ने व्यवस्था दी है कि प्रमोशन में आरक्षण बना रहेगा.
Q बिहार में अति पिछड़ी जातियां वोट के लिहाज से सबसे मजबूत मानी जाती हैं. यह वर्ग एनडीए के कितना करीब है?
अति पिछड़ी जातियां पूरी तरह एनडीए के साथ गोलबंद हैं. अति पिछडी जातियों को राजद ने जितना सताया है कि अब कोई उसके साथ जाने को तैयार नहीं है. उधर कोई रहने वाला भी नहीं है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जदयू अलग-अलग थे. उस चुनाव में भी अति पिछड़ी जातियों का वोट भाजपा को मिला था और एक हिस्सा जदयू को भी मिला था, लेकिन राजद को एक वोट नहीं मिला. इबीएम का जिन्न इस बार भी एनडीए की ओर निकलेगा.

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