पटना : जिला जज की वयस्क बेटी को अपने मां-बाप की बंदिशों से आजादी मिल गयी है. पीड़िता की गुहार पर माता-पिता से अलग रहने का हाईकोर्ट ने इंतजाम किया है. अगले 15 दिनों तक पीड़िता को चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी के गेस्ट हाउस में रहने, पटना शहर में घूमने-फिरने और अपने मनचाहे व्यक्ति से भेंट-मुलाकात करने की सुविधा देने का आदेश हाईकोर्ट ने चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के निबंधक को दिया है.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार को उक्त निर्देश दिया. पूरी सुनवाई मुख्य न्यायाधीश के बंद चैंबर में हुई. सुनवाई के दौरान पीड़िता और उसके माता-पिता भी मौजूद थे. कोर्ट के पूछने पर लड़की ने बताया कि वह बालिग है और उसकी जन्मतिथि 28 सितंबर, 1993 है. उसने पांच वर्षीय लॉ स्नातक की पढ़ाई चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से 2016 में पूरी की है. वह अपनी मर्जी से जिस लड़के से शादी करना चाह रही है वह उसके माता-पिता को पसंद नहीं है. इसलिये वह अपने मां-पिता के साथ रहने में सहज महसूस नहीं करती. लड़की के इन कथनों और परिस्थितियों के मद्देनजर हाईकोर्ट ने उक्त निर्देश दिया.
मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई की दोपहर सवा दो बजे मुख्य न्यायाधीश के चैंबर में फिर होगी. अपने चार पन्नों के आदेश में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने इस पूरे मामले में मीडिया के रवैये पर भी नाराजगी जाहिर करते हुए मीडिया को आगाह किया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इस मामले की खबर छापते वक्त लड़की और उसके माता-पिता या परिजन का नाम नहीं आना चाहिए. ऐसी कोई बात नहीं छपनी चाहिए जिससे लड़की या उसके माता-पिता की बदनामी हो. सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश कक्ष में लीगल रिपोर्टरों के जाने पर भी पाबंदी लगा दी गयी थी.