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पटना : बिस्कोमान ने हड़पा कर्मियों के 32 साल का पीएफ, 18 साल तक नहीं मिला वेतन
1985 से 2017 तक का अंशदान नहीं किया जमा पटना : राज्य में सहकारिता बाजार की सबसे बड़ी संस्था बिस्कोमान ने अपने ही कर्मचारियों के हक में सेंधमारी की है. इस संस्था ने 32 साल (वर्ष 1985 से 2017) तक अपने कर्मचारियों के पीएफ खाते में अपना अंशदान जमा नहीं किया. साथ ही अपने कर्मचारियों […]
1985 से 2017 तक का अंशदान नहीं किया जमा
पटना : राज्य में सहकारिता बाजार की सबसे बड़ी संस्था बिस्कोमान ने अपने ही कर्मचारियों के हक में सेंधमारी की है. इस संस्था ने 32 साल (वर्ष 1985 से 2017) तक अपने कर्मचारियों के पीएफ खाते में अपना अंशदान जमा नहीं किया. साथ ही अपने कर्मचारियों काे अठारह साल (1985 से 2003 तक) तक वेतन भी नहीं दिया. अकेले पीएफ अंशदान न भरने का मामला करीब 22.96 करोड़ का है.
कर्मचारियों को पीएफ राशि पर मिलने वाली ब्याज राशि का नुकसान इससे अलग है. इस तरह दो हजार से अधिक कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई का अच्छा-खासा हिस्सा बिस्कोमान दबा कर बैठा है.
बिस्कोमान में कर्मचारियों के 22.96 करोड़ रुपये पीएफ अकाउंट में जमा नहीं हुए, यह आंकड़ा ईपीएफओ के क्षेत्रीय आयुक्त ने दिया है. साल 1985 से लेकर 2017 तक का अंशदान नियोक्ता और कर्मचारियों का बकाया लगभग 27.62 करोड़ रुपये का है, जिसमें लगभग 4.45 करोड़ रुपये बिस्कोमान प्रबंधन ने ईपीएफओ से नोटिस मिलने के बाद जमा कराये हैं. 22.96 करोड़ रुपये की शेष राशि तो कई बार नोटिस देने के बाद भी जमा नहीं की गयी
बिस्कोमान ट्रस्ट ने केंद्र सरकार और ईपीएफओ के नियमों का किया उल्लंघन, अंशदान का पैसा नहीं किया जमाबिस्कोमान ट्रस्ट ने केंद्र सरकार और ईपीएफओ के नियमों का उल्लंघन किया है. नियम के अनुसार ट्रस्ट को छूट देने के प्रावधान को ईपीएफओ ने मई 2017 में वापस ले लिया. उसके बाद ट्रस्ट में कर्मचारियों और नियोक्ता का अंशदान 15 दिन के अंदर ईपीएफओ कार्यालय में जमा करना था, लेकिन बिस्कोमान प्रबंधन ने अंशदान का पैसा जमा नहीं किया.
ईपीएफओ की नहीं सुन रही पुलिस :
ईपीएफओ को बिस्काेमान प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज कराना पड़ा है. 31 मई को ही गांधी मैदान थाना में एफआईआर के लिए आवेदन दिया गया था, लेकिन अभी तक केस रजिस्टर नहीं किया गया है. अधिकारियों की मानें तो आॅडिट बायलेंस सीट आने के बाद बकाया राशि 35 करोड़ से अधिक हो सकती है.
बेटियों की शादी के लिए लेना पड़ा कर्ज, कई कर्मचारियों की हो चुकी है मौत : यहां के कर्मचारियों की माली हालत खराब है. कई की मौत हाे चुकी है. कई बीमार हैं. कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें वेतन व पीएफ नहीं मिलने से बेटियों की शादी तक के लिए उधार लेना पड़ा. वे अब न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य हैं.
इधर इनका कहना है
इसके लिए वर्तमान बोर्ड दोषी नहीं : सुनील सिंह
वर्ष 1988 से लेकर 2003 तक लगभग 17 साल बिस्कोमान राज्य सरकार के नियंत्रण में था, अगर इस अवधि में वेतन नहीं मिला या पीएफ खाते में अंशदान नहीं गया तो बिस्कोमान प्रबंधन कहां दोषी है. बिस्कोमान के अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह बिस्कोमान प्रबंधन की छवि खराब करने की साजिश है.
उन्होंने बताया कि वर्ष 1988 से लेकर 2003 तक की अवधि में बोर्ड भंग रहा. उस दौरान कर्मचारियों को एक पैसे का वेतन नहीं दिया गया तो पीएफ खाते में अंशदान डालने का सवाल कहां पैदा होता है. सिंह ने बताया कि उक्त अवधि के दौरान कर्मचारियों का बकाया वेतन एवं अन्य लाभ सरकार को देना था. उक्त राशि पर दावा करते हुए मौजूदा निदेशक मंडल ने पटना उच्च न्यायालय में 15 सितंबर 2015 को समादेश याचिका दायर की है. इसमें कर्मचारियों के बकाया वेतन एवं अन्य लाभ के मद में कुल 72 करोड़ रुपये की मांग की गयी है.
प्रधान मुख्य आयकर अायुक्त से कोर्ट ने मांगा जवाब
पटना : हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त (बिहार-झारखंड) से 31 मार्च को आयकर विभाग की वेबसाइट किस कारण से बंद थी, इसका जवाब दो सप्ताह में देने को कहा है. आदेश पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन की खंडपीठ ने दिया है. टैक्स पेयर्स फोरम के अध्यक्ष डॉ अजीत कुमार पाठक और टैक्सेशन बार एसोसिएशन के महासचिव परमानंद प्रसाद ने पिछले दिनों याचिका दायर की थी.
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