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आरबीआई के निर्देश को नहीं मान रहे सार्वजनिक बैंक, कारोबारी परेशान, अब भी सिक्के नहीं स्वीकार कर रहे बैंक

सुबोध कुमार नंदन पटना : छोटे सिक्के जमा करने से जुड़े भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों को सार्वजनिक व निजी बैंक ताक पर रखे हुए हैं. बैंक सिक्कों को जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं. जानकारी हो कि बाजार में छोटे सिक्कों के अघोषित तौर पर चलन से बाहर हो जाने से लोगों […]

सुबोध कुमार नंदन
पटना : छोटे सिक्के जमा करने से जुड़े भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों को सार्वजनिक व निजी बैंक ताक पर रखे हुए हैं. बैंक सिक्कों को जमा करने में आनाकानी कर रहे हैं. जानकारी हो कि बाजार में छोटे सिक्कों के अघोषित तौर पर चलन से बाहर हो जाने से लोगों के पास वे जमा हो गये हैं.
इससे बिहार और झारखंड के बड़े कारोबारियों से लेकर छोटे कारोबारी परेशान हैं. बैंकों द्वारा सिक्के नहीं जमा लिये जाने के संबंध में बिहार चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज और बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ और पटना पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन रिजर्व बैंक, राज्य सरकार और वित्त मंत्रालय को कई बार पत्र लिख चुके हैं. बैंकों की अपनी परेशानी है. सिक्कों को गिनने की परेशानी से बचने के लिए बैंक अधिकारी कर्मचारियों की कमी का रोना रो रहे हैं.
छोटा सिक्का नहीं चलने की बात मात्र अफवाह : आरबीआई के जनसंपर्क अधिकारी प्रसून कुमार शर्मा ने बताया कि छोटा सिक्का नहीं चलने की बात पूरी तरह अफवाह है. बैंकों को ग्राहक के सिक्के लेने है.
ग्राहक बैंक में सिक्के जमा करा सकते है. अगर कोई बैंक सिक्के लेने से इन्कार करता है तो ग्राहक रिजर्व बैंक और बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत कर सकते हैं. बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया है कि व्यवसायी कभी भी ग्राहकों से सिक्का लेने में कोई आनाकानी नहीं करते हैं बशर्तें कि बैंक भी उनसे सहजता से सिक्के स्वीकार करें, लेकिन ऐसा नहीं हाेने पर व्यवसाय पर प्रभाव पड़ता है.
उप मुख्यमंत्री के सामने भी उठाया गया मुद्दा
अग्रवाल ने बताया कि पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री सह–वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में संपन्न राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की 63वीं त्रैमासिक समीक्षा बैठक में सिक्कों की समस्याओं को उठाया था.
जिस पर उप मुख्यमंत्री ने बैंकों को निर्देश दिया था कि सभी बैंक शाखाएं तो सिक्का जमा लें ही, साथ ही हर जिले में सिक्के जमा लेने के लिए विशेष शाखा चिह्नित की जाये. लेकिन अभी तक सिक्का लेने के लिए वैसी शाखाएं चिह्नित नहीं की गयी हैं. चैंबर अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने कहा कि स्टेट बैंक प्रबंधन बिहार के हितों के खिलाफ काम कर रहा है. इसी की देखा-देखी अन्य बैंक भी उसी राह पर चल रहे हैं.
बैंकों का क्या है कहना
बैंक अॉफ इंडिया
उप महाप्रबंधक अमरेंद्र कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि हर दिन बड़ी संख्या में सिक्के जमा नहीं ले सकते हैं क्योंकि सिक्के रखने में परेशानी हो रही है. अतिरिक्त जगह बैंकों के पास नहीं है. विशेष कर हर दिन बड़े दुकानदारों के सिक्कों को जमा करना संभव नहीं है.
भारतीय स्टेट बैंक
महाप्रबंधक (जनसंपर्क अधिकारी) ने बताया कि बैंक ने राजधानी में मौर्या लोक, एक्जीबिशन रोड शाखा में सिक्के स्वीकार करने के लिए विशेष काउंटर बनाये हैं, जहां बैंक का कोई भी ग्राहक हर दिन 1000 रुपये तक के सिक्के जमा कर सकते हैं. इसके लिए ग्राहकों को पैकेट व स्लिप दी जाती है.
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (फ्रेजर रोड स्थित)
मुख्य प्रबंधक संजय कुमार ने बताया कि इस ब्रांच में हर मूल्य का सिक्का स्वीकार
कर रहे हैं. लेकिन एक सीमा के अंदर, क्योंकि सिक्कों का मिलान करने में काफी समय लगता है.नंद लाल छपरा (बाईपास) स्थित हाईवे सर्विसेज के प्रमुख अरुण कुमार ने बताया कि सिक्के को लेकर मैं काफी परेशान हूं. मेरा खाता राजेंद्र नगर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में है. पिछले दिनों जब बैंक में 5 हजार रुपये का सिक्का (जो दस-दस रुपये का) जमा किया.
लेकिन, हैरानी की बात यह है कि बैंक ने मेरे खाते से दस हजार कैश हैंडलिंग चार्ज और जीएसटी जोड़ कर 11,800 रुपये काट लिया. प्रबंधक से जब इस संबंध में जानकारी दी गयी, तो उन्होंने बताया कि यह पैसा बैंक के सिस्टम ने काट लिया है. शाखा की इसमें कोई भूमिका नहीं है.
रांची के ओसम डेयरी के सीईओ अभिनव साह ने बताया कि बैंक ऑफ इंडिया के बरियातू शाखा से लोन लेकर डेयरी संचालित कर रहा हूं. पिछले दिनों कंपनी का लोन भुगतान के लिए मैंने सिक्का बैंक को दिया, तो बैंक प्रबंधक ने सिक्के लेने से इन्कार कर दिया. इससे मेरा लोन का ब्याज बढ़ रहा है. ऐसे में कोई कैसे कारोबार कर सकता है.
पंजाब नेशनल बैंक
एक अधिकारी ने बताया कि व्यावहारिक तौर पर सिक्के जमा करना संभव नहीं है. सिक्के जमा करने के लिए अलग से दो कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाना होगा. इसके लिए बैंक को अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा. बैंक में जगह की कमी है. अगर सिक्के स्वीकार करने लगे तो रखना तो मुश्किल है.
एआईबीओए
के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने बताया कि बैंकों द्वारा सिक्के जमा लेने में कठिनाइयां सामने आ रही हैं. उसे भी कारोबारियों को समझना होगा. अधिकांश बैंकों में स्टाफ की कमी है. इससे कार्य बाधित हो जाते हैं. बैंक के स्ट्रांग रूम में पर्याप्त जगह नहीं होने से उनके रखरखाव की समुचित व्यवस्था नहीं है.
क्या है इनका कहना
बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ के महासचिव रमेश चंद्र तलरेजा ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंकों द्वारा भारी मात्रा में नोटों के बदले सिक्के दिये गये थे. यही सिक्के आज परेशानी का कारण बने हुए हैं क्योंकि बैंकों द्वारा सिक्के नहीं लिये जाने के कारण दुकानदारों के पास भारी मात्रा में सिक्के जमा है.
पटना पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के सचिव अजय कुमार सिंह ने बताया कि शहर में लगभग 50 से अधिक पेट्रोल पंप हैं जहां हर दिन लगभग तीन से चार हजार रुपये सिक्के आ जाते हैं. वहीं बैंक एक हजार रुपये से अधिक सिक्के लेने को तैयार नहीं है. यह समझ से परे है. बैंक अपनी मनमानी पर उतरा है.

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