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बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगते रहे हैं, आगे भी मांगेंगे : नीरज

पटना : जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि जदयू 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही बिहार को विशेष राज्य की मांग करती रही है और आगे भी करते रहेगी. यह उन लोगों के लिए नयी मांग हो सकती है, जिसे अब इसमें राजनीति फायदा नजर आ रहा है. […]

पटना : जदयू प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा कि जदयू 2005 में सत्ता में आने के बाद से ही बिहार को विशेष राज्य की मांग करती रही है और आगे भी करते रहेगी. यह उन लोगों के लिए नयी मांग हो सकती है, जिसे अब इसमें राजनीति फायदा नजर आ रहा है. आज राजनीतिक लाभ लेने के लिए भ्रष्टाचार के मामले में सजा काट रहे राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद जी को भी जेल से ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की याद आ रही है, परंतु उनकी पार्टी इसके लिए अब तक क्या किया, यह भी उन्हें बताना चाहिए?

राजद जब केंद्र और राज्य में सत्ता में थी, तब तो वे अपनी संपत्ति बनाने में लगे रहे और जब दोनों जगहों से लोगों ने उनसे सत्ता छीन, जेल पहुंचा दिया, तब उन्हें बिहार के भलाई की याद आ रही है. बिहार में सत्ता पर काबिज होते ही 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा इस मुद्दे को लेकर मेमोरंडम भेजा गया. नीतीश कुमार ने इस मांग के लिए बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करवाया.

नीतीश कुमार ने 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में अधिकार रैली की तथा बिहार के 1.25 करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त आवेदन पत्र केंद्र सरकार को सौंपे. एक कवि की कविता है-

‘‘एकता बांटने में माहिर है,

खुद की जड़ काटने में माहिर है,

हम क्या उस शख्स पर थूकें,

जो खुद,(……) कर चाटने में माहिर है!’’

लालू प्रसाद और अवैध संपत्ति के ‘युवराज’ तेजस्वी यादव आप लोग भले ही आज राजनीतिक लाभ के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की बात कर रहे हैं, परंतु प्रश्न यह है कि केंद्र में यूपीए सरकार सत्ता में आयी थी, तब आप (लालू प्रसाद) केंद्र में मंत्री रहते हुए क्यों नहीं कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दिया जाये? जबकि हकीकत है कि यूपीए-एक की सरकार के पहले बजट भाषण में और राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस बात का जिक्र किया गया था कि बिहार को विशेष पैकेज दिया जायेगा. उससमय आप कहां थे? आज बिहार में बिहार के लोगों में बिहारीपन की फिलिंग, एक पहचान, एक स्थिरता के लिए यहां ’बिहार दिवस’ मनाया जाता है. इससे बिहारीपन की भावना जगी है.

बिहार में विगत सालों में बिहार में बदलाव आया है. आज कुर्सी जाने के कारण ऐसे लोगों को डाह और इर्ष्या है, जिन्हें बेनामी संपत्ति के खुलासे से बहुत परेशानी है. ऐसे लोगों को भी तो 15 साल मौका मिला था, तो वे क्यों नहीं विशेष राज्य का दर्जा दिलवाये? अब बिहार के लोग बदल चुके हैं, अब वे किसी के बहकावे में नहीं आनेवाले हैं. बिहार में शांति, सौहार्द एवं सर्वधर्म सद्भाव है. लोगों में मेलजोल और मुहब्बत है. हां, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हम संघर्ष करते रहे हैं और आगे भी यह संघर्ष जारी रहेगा. इसमें किसी के उपदेश देने की जरूरत नहीं है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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