पटना : सूबे के विवि और कॉलेजों के सेवानिवृत्त हुए शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को उनका वेतन-भत्ता और पेंशन समय पर नहीं देने को लेकर पटना हाइकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जतायी है. हाइकोर्ट ने फटकार लगाते हुए राज्य के सभी विवि के रजिस्ट्रारों और कुलपतियों से पूछा है कि आखिर क्यों नहीं वर्तमान में कार्यरत जिम्मेदार लोगों के वेतन और अन्य बकायों का भुगतान रोक दिया जाये.
हाइकोर्ट ने बकायदा नोटिस जारी किया है. उन्होंने नोटिस जारी कर यह बात पूछी है. मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने कृष्ण कांत सिन्हा की लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बातें कही. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को यह बताया गया था कि सूबे में एक भी ऐसा कॉलेज और विवि नहीं हैं जहां के शिक्षकों को पटना हाइकोर्ट का चक्कर नहीं काटना पड़ता है. सभी शिक्षक वर्तमान पदाधिकारियों की लापरवाही की वजह से कभी पेंशन, तो कभी ग्रेच्युटी और कभी बकाये भत्ते के लिए कोर्ट में आते रहते हैं.
कोर्ट में दाखिल की गयी याचिका में यह भी बताया गया है कि इस मामले में कभी भी कुलपति एवं रजिस्ट्रार को इस प्रकार की परेशानी नहीं उठानी पड़ती हैं. वह अपने पावर का इस्तेमाल कर समय पर सबकुछ ले लेते हैं. याचिका में कोर्ट को यह बताया गया कि विवि में भले शिक्षकों और कर्मचारियों को देने के लिए पैसे का आभाव रहता है, लेकिन विवि कोर्ट में वकीलों को केस लड़ने के लिए मोटी फीस देते हैं. याचिकाकर्ता में यह भी बात सामने आयी है कि पटना हाइकोर्ट में बिहार के सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों की याचिकाएं सुनवाई के लिए लंबित हैं.
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