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क्या एनडीए छोड़ेगें मांझी ? जानें 15 बड़ी वजह

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनायी है, उसके बाद से एनडीए के सहयोगी दल हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयानों में तल्खी आ गयी है. बिहार की सियासत को नजदीक से समझने वाले लोग मांझी के बयानों की समीक्षा […]

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब से एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनायी है, उसके बाद से एनडीए के सहयोगी दल हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयानों में तल्खी आ गयी है. बिहार की सियासत को नजदीक से समझने वाले लोग मांझी के बयानों की समीक्षा कर रहे हैं. इस समीक्षा के बाद, जो बात निकलकर सामने आ रही है, वह यह है कि मांझी अब ज्यादा दिन तक एनडीए के साथ नहीं रहेंगे. मांझी ने जिस प्रकार अपने बयानों में लालू यादव के साथ जाने की बात पर प्रतिक्रिया दी है, वह ध्यान देने लायक है. आइए मांझी के बयानों और एनडीए से अलग होने के कारणों के कुछ प्वाइंट को टटोलते हैं.

-सोशल मीडिया पर दिये अपने इंटरव्यू में मांझी ने कहा कि राजनीति में सबकुछ संभव है.

– उन्होंने कहा कि जब नीतीश कुमार भाजपा छोड़ने के बाद लालू प्रसाद के साथ जा सकते हैं तो वे क्यों
नहीं लालू प्रसाद के साथ जा सकते हैं.

-राजनीति में कुछ भी संभव कहने के साथ साथ मांझी ने पुराने मामले को भी दोहराया. उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश ने उन्हें सीएम बनाया.लेकिन उनकी नहीं चलती थी.

-उन्होंने इस बयान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छुपे हुए इशारों में आलोचना की और कहा कि नीतीश
के नौकरशाह के सामने उनकी नहीं चलती थी.

-प्रेक्षकों का मानना है कि जदयू से दोस्ती के बाद भाजपा द्वारा मांझी को तरजीह नहीं दिया जा रहा है.

-उधर लालू प्रसाद मांझी पर डोरा डाल रहे हैं.मांझी का जो दर्द छलका है इससे स्पष्ट होता है कि उनका
एनडीए से मोहभंग होने लगा है.

-मांझी ने अपने कार्यकाल के दौर की चर्चा की है और खुलकर बताया है कि कैसे अधिकारी उनकी बातों को अनसुना कर देते थे.

-मांझी की बातों से स्पष्ट लगा कि आने वाले दिनों में यदि एनडीए में उनके प्रति दृष्टिकोण को बदला नहीं गया, तो वह दूसरा कदम भी उठा सकते हैं.

-मांझी ने सीएम रहते हुए अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि 2014 लोकसभा चुनावों के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बना तो दिया गया, लेकिन उनकी कुछ चलती नहीं थी.

-मांझी ने बातचीत में कहा कि सीएम रहते 4 महीने कोई काम अपनी मर्जी से नहीं कर सके और उनके ही अधिकारी उनकी कोई बात नहीं सुनते थे. पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि वे अपने फैसले सरकार में लागू नहीं कर सके.

-उन्होंने यहभी कहाहै कि उन्होंने जानबूझकर कोई विवादित बयान नहीं दिया था और उन्हें जो सही लगा वही किया. मांझी ने कहा कि जब नीतीश कुमार उनको हटाना चाहते थे, तो उनको खुलकर बोलना चाहिए था.

-मांझीकाकहना है कि यदि नीतीश सीधे कहते तो वे सीएम की कुर्सी छोड़ देते. बकौल मांझी उन्हें इस बात का दुख है कि उन्होंने दूसरे माध्यम से बात कहलवाई.

-मांझी ने खुलासा किया कि शरद यादव के कारण ही पार्टी टूटी थी और शरद यादव ने अलग से बैठक बुलाकर विवाद बढ़ाया था. मांझी ने कहा था कि वे तो अच्छे माहौल में 7 सर्कुलर आवास की बैठक में गए थे लेकिन आगे हालत बिगड़ गये.

-उन्होंने कहा कि बीजेपी ने उनका साथ नहीं दिया. मांझी ने कहा कि यदि भाजपा पूरा साथ देती तो वे जरूर सरकार बचा लेते.

-मांझी नेभाजपाको दगाबाजतक कहा है.उन्होंनेकहा कि बीजेपी की धोखेबाजी का अंदाजा उन्हें पहले ही लग गया था और मुश्किल घड़ी में साथ देने वाले अपने समर्थक विधायकों को वे परेशानी में नहीं डालना चाहते थे इसलिए फ्लोर पर जाने से पहले अंतिम वक्त में राजभवन जाने का फैसला किया.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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