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पटना : लालू प्रसाद नॉनसीरियस आदमी है, बाढ़ चूहों के कारण नहीं, फ्लैश फ्लड से आयी : ललन सिंह

पटना : प्रदेश में जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने शनिवार को कहा है कि चूहों के कारण बाढ़ नहीं आयी. चूहों ने नदी किनारे बांधों में करीब दस हजार बिल बना लिया जिस कारण इन बांधों की मरम्मती में बहुत परेशानी हुई. चूहों का समाधान बाढ़ खत्म होने के बाद करेंगे. प्रदेश में बाढ़ […]

पटना : प्रदेश में जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने शनिवार को कहा है कि चूहों के कारण बाढ़ नहीं आयी. चूहों ने नदी किनारे बांधों में करीब दस हजार बिल बना लिया जिस कारण इन बांधों की मरम्मती में बहुत परेशानी हुई. चूहों का समाधान बाढ़ खत्म होने के बाद करेंगे. प्रदेश में बाढ़ की मुख्य वजह नेपाल और राज्य के पूर्वी जिलों में लगातार तीन दिनों तक हुआ मूसलाधार बारिश है. इस बारिश से नदियों में अचानक बहुत पानी आ गया. यह पानी आसपास के इलाकों में फैल गया और इससे बाढ़ आ गयी. अब भी गंडक में पानी बढ़ रहा है.
इस नदी से जुड़े इंजीनियरों को बांधों पर कैंप करने का निर्देश शुक्रवार को दिया गया है. बाढ़ पूर्व तैयारियों के बारे में एक सवाल के जवाब में ललन सिंह ने कहा कि मौसम विभाग ने साधारण बारिश का पूर्वानुमान जताया था. इसके विपरीत 72 घंटे तक मूसलाधार बारिश से अचानक परिस्थितियां बदल गयीं. उन्होंने कहा कि इस मॉनसून में बिहार में 18 जगहों पर 244 मिमी से ज्यादा बारिश हुई.
नेपाल में 52 जगहों पर 144 से 244 मिमी बारिश हुई. मंत्री ने कहा कि बाढ़ के निरीक्षण के लिए सीएम नीतीश कुमार के साथ पूर्वी और पश्चिमी चंपारण गया था. उसी दौरान उन्होंने कहा था कि बूढ़ी गंडक और बागमती में बाढ़ आने से रोसड़ा के पास तटबंध को खतरा हो सकता है.
इससे समस्तीपुर, बेगूसराय और खगड़िया जिले भी प्रभावित हो सकते हैं.
इसका इंतजाम किया जाये. उनकी सलाह पर प्रधान सचिव अरुण सिंह को 20 अगस्त को मुजफ्फरपुर भेजा. वे वहां से समस्तीपुर गये और लगातार 12 दिनों से कैंप कर तटबंधों की सुरक्षा का इंतजाम करते रहे.
बागमती के तटबंध किनारे बसी है आबादी
जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अरुण सिंह ने कहा कि बागमती नदी के तटबंध किनारे कई गांव बसे हैं. ये सभी अपना खानपान, मवेशी रखना, अनाज सुखाना सहित रोजमर्रा के काम बांधों पर ही करते हैं. इस कारण वहां बड़ी संख्या में चूहे भी आ गये हैं. इन चूहों ने तटबंधों में बिल बना दिया है. इस बिल से सीपेज हो जाता है, जिसे विभाग के अधिकारियों ने ठीक करवाया है. कोसी में ऐसी समस्या नहीं है.
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वहीं गंडक, बागमती और कमला बलान पर बने कुछ जगहों पर जमींदारी बांध, रिंग बांध और मुख्य बांध क्षतिग्रस्त हो गये, उन्हें ठीक करवाया गया. साथ ही बूढ़ी गंडक के तटबंध को टूटने से बचाया गया.
महानंदा का पानी आसपास के इलाकों में फैल गया: नेपाल में 650 से 700 मिमी बारिश हुई. वहीं नेपाल से सटे बिहार के पूर्वी जिले अररिया, किशनगंज, कटिहार, सुपौल, पूर्णिया व सहरसा में करीब 300 मिमी बारिश हुई. इस तरह तीन दिनों में 900 मिमी की बारिश के कारण करीब 12 फीट पानी बढ़ गया. इस कारण ऐसी नदियों में पानी आ गया जहां पानी नहीं रहता था.
इनमें कंकई, मेची व परमान जैसी नदियों में भी पानी आ गया. यह पानी महानंदा में आकर मिल गया. महानंदा नदी पर विभाग का तटबंध नहीं है. इस कारण नदी का यह पानी फैल गया जिससे कि उसके पास के इलाकों में बाढ़ आ गया. वहीं गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे रहने के कारण बाढ़ जल्द समाप्त हो सका.
सीएम की सलाह पर किया इंतजाम
मंत्री ने लालू प्रसाद को बताया नॉनसीरियस
चूहों ने काट दिया बांध, लालू प्रसाद द्वारा ऐसा कहने पर जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने उन्हें नॉनसीरियस आदमी बताया. उन्होंने कहा कि उनकी बातों पर फिक्र करने की जरूरत नहीं है.
राजद के 15 साल के शासनकाल के बारे में उन्होंने कहा कि इस दौरान लालू प्रसाद ने लापरवाही से शासन चलाया. उनके और राबड़ी देवी के सीएम रहते बाढ़ और राहत घोटाला हुआ था. उन्होंने कहा कि 1996 से उनसे मेरा प्रेम रहा है. मैं उनसे प्रेम करता हूं और वे मेरे ऊपर स्नेह बनाये रखें.

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